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पोलियो ड्यूटी के दौरान मौत होने पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को दिया जाए मुआवज़ा: CITU

पी. चंद |

पोलियो ड्यूटी के दौरान आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की मौत पर सीटू राज्य कमेटी ने सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए। प्रदेश सरकार औऱ समाजिक एवं आधिकारिता मंत्रालय को जिम्मेदार ठहराते हुए सीटू ने मांग की इस घटना पर जल्द जिम्मेवार अधिकारियों पर मुक्कद्दमा हो। पीड़ित परिवार को 25 लाख का मुआवजा जारी किया जाए और उसके परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी भी मिले।

सीटू राज्य कमेटी ने 19 जनवरी रविवार को पल्स पोलियो डयूटी के दौरान आंगनबाड़ी कार्यकर्ता गीता देवी की बंजार क्षेत्र के सैंज के मैल कस नजदीक बर्फ में फिसलने से हुई दर्दनाक मौत के लिए प्रदेश सरकार व सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय को ज़िम्मेदार ठहराया है।  राज्य कमेटी ने मांग की है कि इस घटनाक्रम के लिए जिम्मेवार अधिकारियों के ऊपर तुरन्त मुकद्दमा दर्ज करके सख्त कार्रवाई अमल में लायी जाए। राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि पीड़िता के परिवार को तुरन्त 25 लाख रुपये मुआवजा दिया जाए। राज्य कमेटी ने यह भी मांग की है कि गीता देवी के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी प्रदान की जाए।

सीटू ने कहा कि मृतक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता गीता देवी के परिवार को मुआवज़ा नहीं दिया गया औऱ उच्च अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं हुई तो जल्द विभाग औऱ सरकार की घेराबंदी की जाएगी। इस घटनाक्रम ने प्रदेश सरकार की कार्यप्रणाली की पूरी पोल खोल कर रख दी है। ये स्पष्ट हो गया है कि प्रदेश सरकार आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के प्रति जरा भी संवेदनशील नहीं है।

उन्होंने हैरानी व्यक्त की है कि मुख्यमंत्री की बहन स्वयं भी एक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता है। लेकिन इसके बावजूद भी मुख्यमंत्री आंगनबाड़ी कर्मियों के प्रति स्वयं भी गम्भीर नहीं दिखाई देते हैं। आंगनबाड़ी कर्मियों से 2 दर्जन काम लेने के बावजूद भी उन्हें प्रदेश सरकारी कर्मचारी का दर्जा नहीं दे रही है। हालांकि इसकी घोषणा 2013 में भारतीय श्रम सम्मेलन में हो चुकी है। लेकिन अभी तक उन्हें प्रदेश सरकार द्वारा न्यूनतम वेतन भी नहीं दिया जा रहा है।

मृतक गीता देवी से भी अपने आंगनबाड़ी केंद्र मैल के अलावा अट्ठारह किलोमीटर दूर मिनी आंगनबाड़ी केंद्र शकटी का अतिरिक्त कार्य करवाया जा रहा था जो बेहद कम वेतन में गम्भीर शोषण था। भारी बर्फबारी में बंजार के सैंज क्षेत्र के मैल आंगनबाड़ी केंद्र की गीता देवी को अठारह किलोमीटर चलने और अपनी जान जोखिम में डालने के लिए मजबूर किया गया। बर्फबारी में इतना लंबी दूरी तय करने के लिए उन्हें कई घंटों का पैदल सफर तय करने के लिए प्रदेश सरकार और विभाग ने अनचाहा दवाब बनाया जिसके फलस्वरूप उनकी जान चली गयी।

अगर प्रदेश सरकार व विभाग ने मिनी आंगनबाड़ी केंद्र शकटा में समय रहते आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की नियुक्ति की होती तो न केवल एक और बेरोजगार को रोजगार मिलता अपितु गीता देवी को कई किलोमीटर पैदल न चलने पड़ता और न ही उन्हें अपनी जान से हाथ धोना पड़ता। प्रदेश सरकार और विभाग को जवाब देना ही पड़ेगा कि आखिर इस आंगनबाड़ी केंद्र में कार्यकर्ता की नियुक्ति क्यों नहीं की गई थी। उन्हें यह भी बताना पड़ेगा कि आखिर इतने लंबे बर्फीले सफर के लिए गीता देवी के साथ विभाग के अन्य कर्मचारी व अधिकारी क्यों नियुक्त नहीं किये गए।