हिमाचल प्रदेश में जयराम सरकार बेशक इन दिनों दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। लेकिन प्रदेश में किसी तरह का राजनीतिक बदलाव होता नजर नहीं आ रहा है। डॉक्टर राजीव बिंदल के प्रदेशाध्यक्ष बनने के बाद विधानसभा स्पीकर का पद खाली जरूर हुआ है। लेकिन इस पद के दावेदारों की लिस्ट में सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार किसी वरिष्ठ मंत्री को प्राथमिकता देना मुख्यमंत्री की तरफ से तय हुआ था। इस बाबत पार्टी के भीतर मंत्रिमंडल से ही 2 नामों पर चर्चा भी हुई जिनमें शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज का नाम सबसे ऊपर था। लेकिन मिली सूचना के अनुसार दोनों ही मंत्रियों ने विधान सभा का स्पीकर बनने की इच्छा नहीं जताई और कहा गया है कि मंत्रिमंडल छोड़ देंगे लेकिन स्पीकर नहीं बनेंगे ऐसे में अब सरकाघाट से विधायक कर्नल इंदर सिंह जो कि धूमल गुट से जरूर आते हैं। लेकिन वरिष्ठता के आधार पर उन्हें इस पद से नवाजा जा सकता है।
बताते चलें कि पिछले कुछ समय से मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर एक बार फिर चर्चाएं जोरों पर हैं और माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री के दिल्ली दौरे के बाद यह विस्तार होना तय है जिसमें कांगड़ा से राकेश पठानिया हमीरपुर जिला से नरेंद्र ठाकुर सिरमौर से सुखराम चौधरी की दावेदारी प्रबल मानी जा रही है। इसी के साथ स्पीकर पद पर भी अगर किसी नेता के नाम पर सहमति नहीं बनी तो रमेश धवाला भी कतार में खड़े बताए जा रहे हैं। कांग्रेस ने भी भाजपा के इशारे उठापटक पर चुटकी ली है। नेता विपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने कहा है कि ऐसा पहली बार प्रदेश में हो रहा है कि स्पीकर पद पर ही कोई व्यक्ति आसीन नहीं होना चाहता है। उन्होंने कहा कि मंत्रियों का स्पीकर पद पर आसीन होने से मना कर देने की बात हैरानी की बात है। लेकिन इससे कहीं ना कहीं जयराम सरकार के ऊपर मुख्यमंत्री की कैसी पकड़ है यह भी स्पष्ट होती नजर आ रही है।