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राजभाषा हिंदी को मिले सम्मान, लोक सेवा आयोग द्वारा तुगलकी फरमान को लिया जाए वापस

पी. चंद, शिमला |

प्रदेश के अनेक जिलों से आए विभिन्न विषयों के छात्रों के प्रतिनिधि मंडल ने मंगलवार को शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज और लोक सेवा आयोग की सचिव से भेंट की। इस मौके पर छात्रों द्वारा मांग पत्र सौंपा गया कि लोक सेवा आयोग द्वारा जारी की गई अधिसूचना जिसमें दिनांक 14 मार्च 2020 को होने वाले राजनीति शास्त्र की परीक्षा और आगामी वाणिज्य एवं इतिहास विषय की परीक्षा को केवल अंग्रेजी में रखा जाए यह निर्णय बिल्कुल गलत है।

छात्रों ने कहा कि प्रदेश में 95फीसदी ऐसे छात्र हैं जो केवल हिंदी माध्यम में शिक्षा ग्रहण करते हैं और परीक्षा देते हैं। ऐसी परिस्थिति में वह बच्चे केसे इन परीक्षा को दे सकते हैं व भी इतने कम समय में जबकि हिमाचल प्रदेश में जितनी भी परीक्षा होती है वो दोनों भाषाओं में होती है। यहां तक कि UPSC, IAS, HAS परीक्षा भी हिंदी व अंग्रेजी दोनों भाषाओं में होती हैं। इसलिए लोक सेवा आयोग द्वारा लिए गए इस निर्णय को वापस लिया जाए ताकि हिंदी भाषा में परीक्षा देने वाले लाखों बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ न हो।

उन्होंने कहा कि हिंदी संवैधानिक रूप से भारत की राजभाषा और भारत की सबसे अधिक बोली वह समझी जाने वाली भाषा है। इसलिए हिंदी भाषा का अपमान न किया जाए उसे एक उचित सम्मान मिले । छात्रों ने कहा कि हमें प्रदेश के शिक्षा मंत्री पर पूर्ण विश्वास है कि व इस निर्णय को नकारते हुए जिस तरह से उन्होंने प्रदेश के अंदर संस्कृत को द्वितीय भाषा के रूप में पहचान दी ऐसे ही हिन्दी भाषा को भी एक उचित सम्मान दिलवाएंगे।