बिहार में एक बहुत बड़ा सियासी भूचाल आ गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। बताया जा रहा है कि नीतीश कुमार डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के इस्तीफा नहीं देने पर अपना पद छोड़ रहे हैं।
गौरतलब है कि पिछले दिनों आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के खिलाफ कई मामले सीबीआई ने दर्ज किए हैं। इसके अलावा उनके बेटे और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के खिलाफ भी कई मामले दर्ज हुए हैं। जिसके बाद से ही विपक्ष लगातार लालू के बेटे तेजस्वी के इस्तीफे की मांग कर रहा था। इस दौरान विपक्ष नीतीश कुमार की नैतिकता पर भी सवाल खड़े कर रहा था।
इस्तीफे के बाद नीतीश कुमार ने कहा कि जिस तरह का माहौल आरजेडी की तरफ से बन गया था उसमें काम करना बहुत मुश्किल हो चुका था। हमने गठबंधन धर्म का पूरा पालन करने की कोशिश लेकिन जिस तरह से सरकार के भीतर के आदमी पर सवाल उठ रहे थे उसकी वजह से हमारा काम भी प्रभावित हो रहा था। हम काम कितना भी अच्छा करें, चर्चा सिर्फ एक शख्स के ऊपर लग रहे संगीन आरोपों की हो रही थी। नीतीश के मुताबिक वह काफी दिनों से नई परिदृश्य को झेल रहे थे और आखिर में यह नामुमकिन हो गया। लिहाजा, मैंने आत्मा की आवाज पर इस सरकार को नहीं चलाने का निर्णय लिया।
नीतीश कुमार ने इस दौरान विपक्ष की एकता पर भी तंज कसे। उन्होंने कहा कि बिहार में आए वर्तमान संकट को लेकर हमने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से भी बात की। लेकिन, भ्रष्टाचार के आरोप को लेकर सभी ने चुप्पी साधे रखी। हर बार विपक्षी एकता की बात की जाती है। लेकिन, इसका सही विजन तो होना चाहिए।
इस्तीफे देने से पहले नीतीश ने राज्यपाल से मुलाकात की और इस्तीफा दिया। माना जा रहा है कि नीतीश के इस्तीफे के बाद फिर से बीजेपी-जेडीयू का हनीमून पीरियड शुरू हो सकता है। क्योंकि, पहले ही बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने यह संकेत दिया था कि अगर नीतीश लालू का साथ छोड़ देते हैं तो बीजेपी उन्हें बाहर से समर्थन दे सकती है।
गौरतलब है कि बिहार के राज्यपाल केसरी नाथ त्रिपाठी ने नीतीश का इस्तीफा मंजूर कर लिया है और जब तक कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं हो जाती है फिलहाल नीतीश मुख्यमंत्री बने रहेंगे।