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वेंटिलेटर घोटाले की ख़बरों पर विभाग ने दी सफ़ाई, नहीं बरती गई अनियमितताएं

पी. चंद |

स्वास्थ्य विभाग में वेंटिलेटर घोटाले की ख़बरों पर विभाग ने सफाई दी है। निदेशक ने स्पष्ट किया है कि इन वेंटिलेटर्स की ख़रीद उस वक़्त हुए हैं जबकि पूरा देश महामारी से जूझ रहा था। 28 मार्च को एक समिति का गठना किया गया जिसमें इसे ख़रीदने के तकनीकि मानकों को निर्धारित किया और अपने संस्तुतियों के आधार पर वेंटिलेटर ICU खरीदने की सिफ़ारिश की। गठित कमेटी ने भारत सरकार द्वारा निर्मित जेम पोरटल पर उपलब्ध वेंटिलेटर्स और मानकों का अध्ययन किया।

अध्ययन ने समिति ने पाया कि वेंटिलेटर की क़ीमत उस वक़्त जेम पोरटल में 9.9 लाख पाया गया है। इसी बीच कमेटी ने बाकी राज्यों(उड़ीसा) में भी अध्ययन किया और बाकी राज्यों ने इसे खरीदा था। इसकी क़ीमत बकायदा इतनी ही थी और बाकी राज्यों ने भी इसे इसी क़ीमत पर ख़रीदा था। कमेटी की पड़ताल के बाद सरकार ने जो 10 वेंटिलेटर ख़रीदने के आदेश दिए थे जिसमें से 7 15 अप्रैल को मिले।

स्वास्थ्य निदेशक ने अपनी रिपोर्ट ने ये भी बताया कि इसके बाद हरियाणा मेडिकल सप्लायर कॉपरेशन ने यही वेंटिलेटर 16 अप्रैल को ख़रीदे थे जिसकी क़ीमत 10.29 लाख रुपये हैं, जो हिमाचल में ख़रीदे गए वेंटिलेटर के सामान ही है। मौजूदा वक़्त भी इसी कंपनी के वेंटिलेटर के यही दाम है। जो हिमाचल को वेंटिलेटर दिए गए हैं वे पूरी सुविधाओं और वॉरेंटी के साथ हैं। इनमें मेडिकल एयर प्रोसेसर, बेसिक एसेसरिज़ जैसी चीजे़ आती हैं।

अर्थाथ इस ख़रीद में कोई भी अनियमितता नहीं पाई गई हैं लेकिन फ़िर भी पारदर्शिता को ध्यान में रखते हुए एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया जाएगा जो इस संबंध में सरकार को 10 दिन के अंदर रिपोर्ट पेश करेगी। गौ़रतलब है कि वेंटिलेटर की क़ीमत साढ़े 3 लाख होना बताया जा रहा था जबकि विभाग ने इसे 10 लाख प्रति वेंटिलेटर की हिसाब से ख़रीदा था।