हिमाचल प्रदेश का चुनावी दंगल खत्म हो चुका है। 37 लाख से ज्यादा मतदाताओं ने अपना फैसला ईवीएम में बंद करवा दिया है। 18 दिसंबर को जब ईवीएम का जिन्न बाहर आएगा तो किसकी किस्मत खुलेगी इसका सबको बेसब्री से इंतज़ार है। ईवीएम स्ट्रांग रूम में पहुचा दी गई है।
दूसरी और जिन 337 नेताओं का भाग्य ईवीएम में बंद है वह गुणा भाग में जुट गए है। दिल को तस्सली देने के लिए कुछ नेता अपने सिपहसालारों से फोन पर टोह ले रहे है कि उनकी जीत कितनी सुनिश्चित है। अब सिपहसालार तो अपने है नेताओं का दिल रखने के लिए तसल्ली तो देनी पड़ेगी। कुछ नेता तो अपनी जीत भी पक्की मान कर चल रहे है।
खबर तो ये भी है कि कुछ नेताओं ने तो अंदरखाते सरकार भी बनाना शुरू कर दी है। यहां तक कि मन्त्री पद के लिए भी जोड़तोड़ का सिलसिला राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। मंत्रियों के विभागों का बंटवारा भी शुरू हो गया है। सरकार में भी किस अफसर को क्या जिम्मेदारी मिलेगी इसको लेकर भी गोटियां फिट होने लगी है।
सूचना तो यहां तक है कि अफसरों की लिस्ट भी तैयार हो रही है कि कहां किस अफसर को रखना है। अपने पराए बन रहे परायों को अपना बनाने की कोशिश चल रही है। ये राजनिति है जिसको जहां शूट करती है उस ओर मुड़ जाती है। तभी तो कहते है राजनीति में कभी न कोई किसी का शत्रु होता है न कोई दोस्त?