'भाई हुं मैं भाई तू फिक्र ना कर' यह टाइटल जिला कांगड़ा के मुखिया यानी डीसी कांगड़ा राकेश प्रजापति पर फिट बैठता है क्योंकि कोरोना महामारी के इस प्रकोप से कांगड़ा को बाहर निकालने में सबसे अहम योगदान डीसी कांगड़ा का रहा है। यह हम नहीं बल्कि प्रदेश भर के आठ कांगड़ा की जनता कहती है। अक्सर डीसी को जब फ़ोन आता है तो सर या साहब कहके कहा जाता है लेकिन कांगड़ा के डीसी सबके भाई बन गए हैं। यह बात डीसी कांगड़ा ने एक विशेष भेंट में कही उन्होंने बताया कि अधिकतर फ़ोन आते हैं और कहते हैं कि भाई ये कैसे कन्फर्म है या ये एप्लिकेशन है इसे एप्रूव करवा दें।
अधिकतर देखा जाता है कि डीसी को बहुत महत्वपूर्ण काम के लिए ही फोन किया जाता है। लेकिन इस कोरोना महामारी के समय में डीसी कांगड़ा को रोजाना 1000 से 1500 फ़ोन आते हैं और वे सबके जवाब देते हैं। राकेश प्रजापति कहते हैं कि उन्हें व्हाटऐप पर भी हजारों मेसेज आते हैं और वे रात तक सभी को रिप्लाई करके ही सोते हैं। ऐसे में कहा जा सकता है कि कांगड़ा के मुखिया पर यह कहावत ठीक बैठती है कि 'भाई हु मैं भाई तू फिकर ना कर।' सुबह से जो फ़ोन डीसी कांगड़ा को आते हैं उसमें से 90 प्रतिशत फ़ोन ऐसे होते है जिसमें दूसरी ओर से आवाज आती है भाई आपको मैसेज भेजा है इसे एप्रूव करवा दो, भाई क्या कोई आदेश में बदलाव किया है। रोजाना डीसी कांगडा को इसी तरह के फ़ोन आते हैं।
आपको बता दे कि कोरोना में सबसे पहला मामला हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिला में आया था और उस व्यक्ति की कोरोना के चलते मौत भी हो गई थी ऐसे में जिला कांगड़ा में सबसे पहले लोकडाउन व उसके बाद जनता कर्फ्यू भी लागू किया ताकि इस महामारी के समय मे कांगड़ा की जनता को बचाया जा सके। उपायुक्त कांगड़ा राकेश प्रजापति ने कहा कि कांगड़ा की जनता के सहयोग के बिना यह सम्भव नहीं था प्रशासन ने जो आदेश जारी की जनता ने उसमे पूरा सहयोग दिया।