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NSUI ने शुरू किया save स्टूडेंट्स save फ्यूचर अभियान, 1st और 2nd ईयर के छात्रों को अगली क्लास में प्रमोट करने की मांग

पी. चंद, शिमला |

कोरोना महामारी के कारण छात्रों की पढ़ाई बुरी तरह से प्रभावित हुई है जिसे देखते हुए एनएसयूआई ने Save स्टूडेंट्स save फ्यूचर मुहिम के तहत प्रदेश सरकार से छात्रों का भविष्य बचाने की मांग की है। एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष छतर सिंह ने शिमला में प्रेस वार्ता आयोजित कर कहा कि 1st और 2nd के छात्रों को सीधा अगली ईयर में प्रमोट किया जाए और फाइनल ईयर के छात्रों को 10 फीसदी एक्स्ट्रा मार्क्स दिया जाए। साथ फाइनल ईयर की फीस भी माफ की जाए।

छत्तर सिंह  कहा कि कोरोना संकट के कारण कॉलेजों की वार्षिक परीक्षाओं में पहले से ही बहुत देरी हो चुकी है और भविष्य में भी इन परीक्षाओं के होने को लेकर बहुत सी अनिश्चितताएं बनी हुई है। इन सब कारणों से कॉलेज जा रहे छात्रों का एक साल बर्बाद होने की स्थिति बनी हुई है और प्रदेश की सभी छात्र-छात्राएं अपनी शिक्षा, समय और कैरियर को लेकर काफी मानसिक परेशानी से गुजर रहे हैं।  ऐसे में एनएसयूआई ने प्रदेश के मुख्यमंत्री से मांग की है कि कॉलेजों के प्रथम और द्वितीय वर्ष के छात्रों को उनके पिछले परफॉरमेंस के आधार पर ही बिना परीक्षा के अगले वर्ष में प्रमोट किया जाए और अंतिम वर्ष के छात्रों को उनके पिछले परफॉरमेंस में अतिरिक्त 10 फीसदी अंकों को जोड़ कर  प्रमोट किया जाए। जिससे प्रदेश के हज़ारों छात्रों का साल बर्बाद होने से बच सकेगा।

इसके साथ ही एनएसयूआई ने मुख्यमंत्री से विश्वविद्यालय की ओर से शिक्षा में 18 फीसदी जीएसटी के फैसले को वापस लेने और भविष्य में भी शिक्षा पर कोई अतिरिक्त टैक्स आदि न लगाने कि मांग की है। छतर ठाकुर ने कहा कि प्रदेश विश्वविद्यालय द्वारा कॉलेजों से ली जाने वाली एफ़िलिएशन, इंस्पेक्शन और कन्टीन्यूशन फीस के साथ अतिरिक्त 18 फीसदी जीएसटी टैक्स लेने का जो फैसला लिया है उससे कोरोना काल में कॉलेजों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ बढ़ेगा और कॉलेज प्रबंधन इसकी पूर्ति करने के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से छात्रों से अधिक फीस वसूलेंगें। एनएसयूआई इस प्रकार से कोरोना जैसे संकट में किसी भी प्रकार की फीस वृद्धि बर्दाश्त नहीं करेगी।

प्रदेश अध्यक्ष छत्तर ठाकुर ने प्रदेश विश्वविद्यालय द्वारा विभिन्न गैर शिक्षक पदों के लिए ली जा रही भारी भरकम आवेदन फीस पर भी विरोध जताया है। उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग की है कि विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से इस हरकत का संज्ञान लेते हुए इन पदों के लिए महिला अभियर्थियों से किसी भी प्रकार के आवेदन फीस न लेने और पुरुष अभियर्थियों से भी मात्र जायज़ आवेदन फीस लेने के लिए आदेश निकाले जाएं।

भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन चाहता है कि पिछले लगभग 4 महीनों में 20-25 दिन भी विश्वविद्यालय में पढ़ाई नहीं चली है और ना ही किसी छात्र ने विश्वविद्यालय की किसी सुविधा का उपभोग किया है। विश्वविद्यालय में आने वाले समय में कब तक पढ़ाई का माहौल बनेगा इस पर भी संशय बना हुआ है। इसलिए आप Non-Subsidised  वाली सीटों में कम से कम तीन महीनों की फीस माफी  या 50 फीसदी फीस माफ़ी पर अपना फैसला दे। 

प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि निजी स्कूल फीस को लेकर अभिभावकों के ऊपर  दबाव डालकर फीस वसुली जा रही है और उनसे लिख लिया जा रहा है वह फीस अपनी मर्जी से स्कूल में जमा कर रहे हैं जो सरासर गलत है। एनएसयूआई हिमाचल प्रदेश इसका कढ़ा विरोध करती है और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वह शिक्षा मंत्री से आग्रह करती है कि वह इसके ऊपर तुरंत कार्यवाही करें। अन्यथा एनएसयूआई इसके खिलाफ धरना प्रदर्शन करेगी लॉकडाउन के समय में जहां पर लोग हर तरफ से त्रस्त है ना किसी के पास नौकरी है और ना ही कोई रोजगार है हिमाचल प्रदेश के अधिकांश स्कूलों में फीस पहले मार्च माह में ही ली जाती है बाकी पूरे वर्ष में  ट्यूशन फीस ही ली जाया है अत:इस पर निष्पक्ष जांच की जाए ।