हिमाचल प्रदेश विधानसभा का चुनावी शोरगुल तो खत्म हो चुका है 337 उम्मीदवारों का भविष्य ईवीएम में बन्द हो चुका है। 18 दिसंबर को ईवीएम खुलते ही खुलेगी 68 विधायकों की किस्मत जो अगली सरकार में विधानसभा पहुंचेंगे। लेकिन इससे पहले गली मोहल्लों में रोज सरकारें बनती है गिर जाती है। कौन जीतेगा कौन हारेगा इस पर खूब बहस होती है। जो भी मिलता है पूछना नही भूलता है कि सरकार किसकी बन रही है।
हां यदि बीजेपी विचारधारा वाले वोटर से बात होती है तो वह बीजेपी के बहुमत की बात करता है और यदि कांग्रेस की विचारधारा वाला कोई व्यक्ति मिलता है तो वह कांग्रेस की सरकार बना देता है। वामपंथी विचारधारा के लोग तो यहां तक कहते सुने जा रहे है कि इस मर्तबा वामपंथी और निर्दलीय सरकार बनाने में अहम भूमिका अदा कर रहे हैं। लेकिन सरकार बनने की चर्चा कई बार तू-तू मैं-मैं तक पहुंच रही है। यही तो लोकतंत्र है सबको अपनी बात रखने का अधिकार है।
उधर कर्मचारी अफसर और नेता अभी से अपनी अपनी गोटियां फिट करने में लग गए है। कई नेता तो मुख्यमंत्री के चेहरों के दरबार में हाज़री भी भरने लग गए हैं। ये सोचकर कि चुनावी चर्चा के बहाने शायद कुछ हित साध लिया जाए। सचिवालय की गलियां सुनी है नेता आराम फरमा रहे हैं और जनता चौराहों गली मोहल्लों में सरकारें बना रही है। अब 18 दिसंबर तक तो ऐसा ही होगा करें भी तो क्या इतना लंबा समय जो मतगणना के बीच रखा हुआ है।