सोलन में अस्पताल प्रशासन की बड़ी लापरवाही सामने आई है। प्रशासन की इस लापरवाही से ना सिर्फ किसी की जान गई, बल्कि उनकी एक लापरवाही ने एक युवती से उसके इकलौते घरवाले को भी छीन लिया।
दरअसल, एक युवती अपने दादा के इलाज के लिए स्थानीय अस्पताल में गई थी, जहां उसके दादा को भर्ती कर लिया गया। कुछ समय के बाद डॉक्टरों ने उसके दादा की हालत को सही बताया और वार्ड में शिफ्ट कर दिया। लेकिन, कुछ समय बाद उसके दादा की फिर तबीयत खराब होने लगी तो डॉक्टरों ने उनकी हालत देख उन्हें पीजीआई रेफर कर दिया।
यही नहीं, जब उन्हें रेफर के आदेश दिए गए तो कोई भी एंबुलेंस अस्पताल में नहीं थी। निजी गाड़ी करके जब बुजुर्ग को पीजीआई लेजाने लगे तो डॉक्टर को ऑक्सीजन सिलेंडर की जरूरत महसूस हुई औऱ उसने ऑक्सीजन सिलेंडर की मांग की। युवती ने अपने दादा के लिए अस्पताल प्रशासन से सिलेंडर मांगा तो उन्होंने 5 हजार सिक्यूरिटी देने को कहा, जो कि युवती के पास नहीं थे। रोते-रोते युवती अपने दादा के लिए गैस सिलेंडर देने की गुहार लगाती रही, लेकिन किसी का दिल नहीं पसीजा।
इस बीच सामान का बंदोबस्त करते करते 2 घंटे बीच गये और बुजुर्ग की तबीयत बिगड़ती गई। अंत में उनकी सांसे दबने लगी और उन्होंने निजी गाड़ी में ही दम तोड़ दिया। हैरानी की बात ये है कि ना ही उस युवती के माता-पिता हैं और जिस दादा के सहारे में अपने परिवार की कमी को पूरा करती थी अस्पताल प्रशासन की इस लापरवाही ने वे भी उससे छीन लिया।
बुजुर्ग के साथ आए तीमारदारों ने रोष प्रकट करते हुए कहा कि बुजु्र्ग की जान अस्पताल प्रशासन की लापरवाही से गई है। पहले तो डॉक्टरों ने उनका ठीक से इलाज नहीं किया। बाद में उसे रेफर कर दिया। अस्पताल से उन्हें ले जाने के लिए एंबुलेंस तक नहीं मिली। इस तरह की घटनाएं सोलन अस्पताल में आम हो गई हैं। रोगी अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं, लेकिन डॉक्टरों पर इसका कोई असर नहीं होता।
बुजुर्ग की लापरवाही से मौत के बाद अस्पताल प्रशासन की नाकामियां और डॉक्टरों के अपने काम में लिपा-पोती सामने आती है। एक तो डॉक्टरों द्वारा किया गया बुजुर्ग का लापरवाही भरा ईलाज और दूसरा अस्पताल प्रशासन में एंबुलेंस की कमी और सिक्यूरिटी की मांग।