वन विभाग ने मानसून के मौसम में हर वर्ष की भांति इस बार भी जिला ऊना में बड़े स्तर पर पौधारोपण का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस बार जि़ला में 389 हेक्टेयर भूमि पर 4.50 लाख पौधे लगाए जाएंगे। कई स्थानों पर यह अभियान आरंभ किया जा चुका है। जिनमें मुख्य रूप से आंवला, हरड़, भेड़ा, खैर, शीशम, नीम, बांस, तूहणी, द्रेक और आम के पौधे रोपे जा रहे हैं। इस वर्ष पौधारोपण अभियान पर लगभग 1.30 करोड़ रुपए खर्च का अनुमान है। पिछले वर्ष के दौरान ऊना में 296 हेक्टेयर भूमि पर लगभग 3.50 लाख पौधे रोपे गए, जिस पर करीब 92 लाख रुपए की धनराशि खर्च की गई।
पौधारोपण अभियान की सफलता में वन विभाग जन सहभागिता को आवश्यक मानता है। लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता पैदा करने और उन्हें पौधारोपण के लिए प्रेरित करने हेतु विभाग इस वर्ष भी वन महोत्सव मनाने जा रहा है। विगत की भांति इस साल भी ‘विद्यार्थी वन मित्र योजना’ के माध्यम से स्कूली बच्चों को वन तथा पर्यावरण के प्रति जागरूक बनाने एवं उन्हें वनों से जोडऩे के लिए पौधारोपण के साथ-साथ वनों की देखभाल भी सुनिश्चित की जाएगी। योजना के अंतर्गत इस वर्ष पांच हेक्टेयर भूमि पर पौधारोपण किया जाएगा, जबकि पिछले वर्ष स्कूली विद्यार्थियों ने चार हेक्टयेर भूमि पर पौधे रोपे थे। विद्यार्थी वन मित्र योजना के तहत सरकारी स्कूल के छात्र, स्कूल परिसर के आस-पास पौधे लगाते हैं। जिनकी देखभाल का जि़म्मा भी उन्हीं का होता है। वन और पर्यावरण संरक्षण में विद्यार्थियों को उनकी भूमिका के बारे में शिक्षित करने औऱ उन्हें जागरूक बनाने के लिए यह योजना आरम्भ की गई है, जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं।
पौधारोपण कार्यक्रम के बारे में वन मंडलाधिकारी मृत्युंजय माधव बताते हैं कि ऊना में वन क्षेत्र 570 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। ऊना में वन विभाग की पांच रेंज हैं, जिनमें बंगाणा, रामगढ़, भरवाईं, अंब औऱ ऊना शामिल है। सक्रिय जन सहयोग के माध्यम से जि़ला का वन क्षेत्र बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। बरसात के मौसम में लगाए जाने वाले पौधों की जीवन दर अधिक होती है। विभाग अपनी योजनाओं को बेहतर ढंग से क्रियान्वित कर रहा है, ताकि हमारी अमूल्य वन संपदा सुरक्षित रखी जा सके। इससे पर्यावरण को स्वच्छ बनाने में मदद मिलती है। यदि हमारे वन आज सुरक्षित रहेंगे, तभी हमारा भविष्य भी सुरक्षित रहेगा। लोगों से मानसून के दौरान अधिक से अधिक पौधारोपण करने सहित वनों की सुरक्षा में अपना सक्रिय सकारात्मक सहयोग प्रदान करने की अपील की है।
30 प्रतिशत वन आवरण बढ़ाने का लक्ष्य
ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर कहते हैं कि वर्ष 2030 तक हिमाचल प्रदेश में वन क्षेत्र को 30 प्रतिशत तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए समाज के हर वर्ग को पौधारोपण हेतु प्रोत्साहित किया जा रहा है। वानिकी गतिविधियों में महिला मंडलों औऱ युवक मंडलों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए प्रदेश सरकार ने सामुदायिक वन संवर्धन योजना आरंभ की है। इस योजना के अंतर्गत गांव के आस-पास की भूमि पर पौधारोपण किया जाता है और उन पौधों की देखभाल सुनिश्चित की जाती है। इसके अलावा पौधारोपण अभियान में समाज की भागीदारी बढ़ाने के लिए ‘विद्यार्थी वन मित्र योजना’ और ‘एक बूटा बेटी के नाम’ जैसी योजनाएं चलाई जा रही हैं।