एक जमाना था जब ये कहा जाता था कि संडे हो या मंडे रोज खांए अंडे…लेकिन महंगाई के इस दौर में लगता है अब अंडा खाना एक सपने जैसा है। जहां हर खाने वाली चीजों में मंहगाई की मार पड़ रही है, वहीं अब अंडों के दामों ने लोगों के आंसू निकालना शुरू कर दिए है। अंडों को पहले अच्छी सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता था लेकिन अब यही अंडे लोगों की चिंता बढ़ा रहे हैं।
सर्दियों के दस्तक देते ही देश में अंडे की सप्लाई में कमी आने लगी है। इसी के चलते अब अंडों के दाम आसमान छूने लगे हैं। जहां पहले अंडे की एक ट्रे 100 रूपये से कम मिल जाती थी, वहीं अब अंडों की ट्रे का दाम 160 से 180 रुपये तक हो गया है। लिहाजा, सर्दियों में अंडे और मांस जैसे खाद्य उत्पादन धड़ले से बिकते हैं। लेकिन, अब अंडों के भाव को देखते हुए ये कहना गलत नहीं होगा कि 'संडे हो या मंडे ना खाएं अंडे।'
जी हां, जिस तरह अंडों के दाम में तेजी आई है, वहीं जनता ने इसकी मांग कुछ हद तक कम कर दी है। हिमाचल में भी अंडों की कमी का ये असर देखने को मिल रहा है। कुछ दुकानदारों का कहना है कि पहले हम अंडे बेचने के लिए रखते थे, लेकिन जब से अंडों के दामों में बढ़ोतरी हुई है कस्टमर अंडा खरीदने से कतरा रहे हैं औऱ अंडों की सेल में कमी आ रही है।
लिहाजा, अंडों के दाम बढ़ता देख मांस व्यापारियों ने भी चिकन- मटन के दाम बढ़ा दिये हैं। चिकन- मटन के दाम बढ़ने से नॉन वेजिटेरियन लोगों को भी उनका मनपंसद खाना मुश्किल से मिल रहा है। आम जनता तो इन दोनों चीजों से खासा परहेज कर रही है और दाम बढ़ते देख अपनी डेली फूड रुटिन बदल रही है। यही नहीं, छोटे दुकानदार भी अंडे जैसी महंगी चीजे रखने में परहेज कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि किसी भी खाद्य वस्तु के दाम तब बढ़ाए जाते हैं जब पैदावार में कमी आने लगी है। अब अंडों की दामों का बढ़ना भी कहीं ना कहीं अंडों की कमी को दर्शा रहा है। हालांकि, अंडे के ये दाम कुछ समय बाद सामान्य होने की संभावना है, लेकिन वर्तमान में ये दाम आम जनता के बजट से बाहर जाते नज़र आ रहे हैं।