अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटर खिलाड़ी एवं पूर्व विश्व नम्बर 1 खिलाड़ी सायना नयवाल ने अपने पति अर्जुन पुरस्कार विजेता पारूपल्ली कश्यप, जो अंतरराष्ट्रीय बेडमिंटन खिलाड़ी हैं, के साथ राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय से राजभवन में भेंट की। राज्यपाल ने हिमाचली परम्परा के अनुसार सायना नयवाल और पारूपल्ली कश्यप को हिमाचली टोपी, शॉल भेंटकर सम्मानित किया और राजभवन का चित्र स्मृति चिन्ह के रूप में भेंट किया। वहीं, मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के साथ भी सायना नयवाल और पारूपल्ली कश्यप ने मुलाकात की।
इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि हिमाचल प्रदेश एक सुन्दर पहाड़ी प्रदेश है। यहां के युवा काफी प्रतिभाशाली हैं और अच्छे खिलाड़ियों की उनमें गुण मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि और अधिक सुविधाओं की कमी के कारण कई बार उन्हें उचित मंच नहीं मिल पाता है। प्रदेश में ही ऐसे प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को और उच्च स्तर की सुविधाएं उपलब्ध हों तो निश्चित तौर पर वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश व प्रदेश का नाम रौशन कर सकते हैं। हिमाचल से अनेक खिलाड़ी आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। लेकिन, यह संख्या बढ़नी चाहिए। प्रदेश सरकार खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के लिए अनेक सुविधाएं प्रदान कर रही है और ग्रामीण स्तर तक खेल के लिए अधोसंरचना विकास किया जा रहा है ताकि निचले स्तर से खिलाड़ी उभर सकें।
दत्तात्रेय ने कहा कि उन जैसे अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों की मदद से हिमाचल प्रदेश में भी खेल अधोसंरचना के लिए संभावनाओं को तलाशा जा सकता है। उन्होंने कहा कि वह स्वयं खिलाड़ी रहे हैं इसलिए खेलों के प्रति उनका विशेष लगाव रहा है। वह चाहते हैं कि हिमाचल प्रदेश में भी खेलों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर की और सुविधाएं विकसित हों। इस मौके पर सायना नयवाल ने राज्यपाल का आभार व्यक्त किया और कहा कि वह हिमाचल प्रदेश मेें बैडमिंटन अकादमी खोलने की इच्छुक हैं। उत्तर भारत से खिलाड़ी कोचिंग के लिए हैदराबाद और बैंगलुरू जाते हैं। जबकि, अंतरराष्ट्रीय स्तर की कोचिंग उन्हें उत्तर भारत में ही मिल जानी चाहिए। स्तरीय खेल के लिए कोचिंग बहुत जरूरी है और कोच अंतरराष्ट्रीय स्तर के होने चाहिए ताकि परफारमेंस दी जा सके। उन्होंने धर्मशाला में क्रिकेट स्टेडियम की भी तारीफ की।
उन्होंने कहा कि ज्यादातर खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर अच्छा कर रहे हैं लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई बार पिछड़ जाते हैं।पारूपल्ली कश्यप ने कहा कि बहुत से खिलाड़ी उच्च ऊंचाई पर प्रशिक्षण के लिए विदेश जाते हैं जबकि यह प्रशिक्षण हिमाचल में दिया जा सकता है। यहां संभावनाएं काफी हैं। उन्होंने कहा कि जहां तक बैडमिंटन के खेल का प्रश्न है यह काफी महंगा खेल है और ज्यादातर कोच व सुविधाओं की कमी रहती है। इस मौके पर, सायना नयवाल ने राजभवन का अवलोकन भी किया और यहां की वास्तुकला की प्रशंसा की।