हिमाचल प्रदेश का पारंपरिक खाना 'धाम' आज पूरे देश में लोग जानने लगे हैं। लेकिन ये धाम अकेले में ही हिमाचल की पारंपरिक दृष्टि को नहीं दर्शाती, बल्कि कई और चीजें भी हैं जिनसे धाम को एक पारंपरिक रिवाज बनाया जाता है। यही नहीं, खासकर हिमाचल के लोग भी इन पारंपरिक रिवाजों को निभाने में पूरा साथ देते हैं।
जी हां, हम बात कर रहे धाम के दौरान खाने को दी जाने वाली प्लेट मतलब 'पत्तल' की। पहाड़ी भाषा में इन पत्तलों को 'पत्तलू' भी कहा जाता है जो कि अपने आप में एक देसी प्लेट के रूप में मानी जाती है। धाम में इन पत्तलों ने अपनी एक अलग जगह बनाई है और ये पत्तल बाजार में बिकने वाली डिस्पोसेबल को धाम में मात देते हैं।
कांगड़ा में सर्वे के मुताबिक, तो हिमाचल के लोगों को कहना ये भी है कि धाम खाने का जो मज़ा पत्तल में हैं वे ना ही घर की प्लेट और ना ही बाजार की प्लेट में है। इसी के साथ लोगों का ये भी मानना है कि धाम को दूसरी मुख्य भूमिका धाम को बैठ कर खिलाना माना जाता है। धाम के लिए स्पेशल पगतिंया लगाई जाती हैं जिन्हें पहाड़ी भाषा में पैंठ भी कहा जाता है। धाम बनने वाले ऊर्फ बोटी एक-एक धाम के सभी पकवानों को लोगों में बांटते हैं और स्वादानुसार लोग इसका आनंद उठाते हैं।
कैसे बनते हैं पत्तल..?
पत्तलों को बात करें तो इसका नाम अपने आप में क्लीयर हो जाता है। पत्तल का मतलब पत्ते से बनी हुई एक देसी प्लेट। ये पत्तल एक बड़े आकार के स्पेशल पत्तों से गूंदकर बनाए जाते हैं और छोटी-छोटी तिलियों या धागों से बांधकर तैयार किए जाते हैं। इन पत्तों को टोर के पत्ते कहा जाता है जो एक बेल में पाये जाते हैं। पत्तों की अपनी एक खासियत होती है कि इनसे एक अलग महक आती है जो खाने में व्यक्तिगत जीवन के लिए लाभदायक होती है औऱ ये पत्ते तोड़ने के बाद जल्दी नहीं सूखते हैं।
ऐसे होता धाम का खात्मा
धाम का अंतिम छोर स्वीट डिश के साथ खत्म होता है। जी हां, स्वीट डिश के रूप में हिमाचल में मीठे चावल बनाए जाते हैं जो मुख्यता लाल या पीले रंग के होते हैं। इन चावलों को 'मीठा भात' कहकर पुकारा जाता है और ये धाम के अंतिम में परोसे जाते हैं। मीठे भात के बाद लोग एक साथ पैंठ से उठकर हाथ साफ करते हैं और पत्तलों को कामवालों को जरिये उठाकर एक जगह रखवाया जाता है। इन पत्तलों को एक जगह फैंक दिया जाता है या फिर मिट्टी में दबा दिया जाता है। बाद में ये एक बेहतर खाद् के रूप में उभरती है, जिसकी बात अगले विषय में करेंगे।