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नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी हिमाचल प्रदेश में फीस के नाम पर छात्रों का किया जा रहा आर्थिक शोषण

पी. चंद, शिमला |

आज थिंक इंडिया की प्रदेश इकाई ने हिमाचल प्रदेश के नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी घंडल में फीस के नाम पर छात्रों के हो रहे आर्थिक शोषण के विरोध में शिक्षा मंत्री को ज्ञापन सौंपा। थिंक इंडिया के प्रदेश संयोजक शिवोम वशिष्ट ने कहा कि इस महामारी के दौर में प्रदेश आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है। कोरोना की वजह से शिक्षा क्षेत्र भी बहुत अधिक प्रभावित हुआ है। वहीं, नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी घंडल की तो फीस के नाम पर विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा छात्रों का आर्थिक रूप से भरपूर शोषण किया जा रहा है। इस महामारी के दौरान जहां छात्रों की मात्र ऑनलाइन कक्षाएं ही चली। छात्रों ने फिजिकल रूप से कक्षाएं ना लगाकर ऑनलाइन माध्यम से ही शिक्षा ग्रहण की। लेकिन जिस तरह फीस के नाम पर अनावश्यक फंड जैसे कि वाईफाई चार्ज, स्पोर्ट्स फंड, बिजली और पानी का बिल, मैस चार्ज, स्टूडेंट वेलफेयर फंड, मूट कोर्ट फंड, ट्रैवलिंग फंड, बस किराया इत्यादि छात्रों से वसूला जा रहा है। कोरोना महामारी के कारण इन अनावश्यक चार्जेज का इस्तेमाल छात्रों द्वारा नहीं किया गया। इस फंड को वसूलना कतई तर्कसंगत नहीं है।

इन सभी प्रकार के अतिरिक्त फंड को यदि जोड़ा जाए तो यह राशि 90 हजार के करीब बन रही है। यह सीधे तौर पर इस महामारी के दौर में विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा आर्थिक शोषण है, जिसका थिंक इंडिया हिमाचल प्रदेश इकाई विरोध करती है। इतनी भारी-भरकम फीस होने के बावजूद यदि नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में सुविधाओं की बात की जाए तो वहां पर छात्रों को स्वच्छ जल और भोजन के लिए भी संघर्ष करना पड़ता है, तो अन्य सुविधाएं किस प्रकार की होंगी इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। इससे पहले इस साल जुलाई माह में जब एनएलयू प्रशासन द्वारा फीस की अधिसूचना लगाई गई थी तब छात्रों ने उस समय विश्वविद्यालय को पूरी फीस अदा की थी। लेकिन अब जब अगले सत्र हेतु नवम्बर माह में फीस की सूचना लगाई जाती है जो कि 1 लाख 30 हजार रूपए है। अभी तक बहुत सारे छात्र इस भारी-भरकम फीस को देने में असमर्थ हैं।

अब विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा तानाशाही रवैया अपनाते हुए जिन छात्रों ने अभी तक यह भारी-भरकम फीस जमा नहीं करवाई उनका पिछले सत्र का परीक्षा परिणाम घोषित करने से मना कर दिया है। पिछले कल एनएलयू द्वारा छात्रों का रिजल्ट घोषित किया जाता है। लेकिन मात्र उन्हीं छात्रों का रिजल्ट घोषित किया गया है जिन्होंने विश्वविद्यालय को पूरी फीस अदा की है। इस तरह का भेदभाव एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय द्वारा छात्रों के साथ किया जाना बहुत ही शर्मनाक है। थिंक इंडिया हिमाचल प्रदेश इकाई इस विषय को लेकर शिक्षा मंत्री से मिली औऱ अपना मांग पत्र उन्हें सौंपा। इनके कार्यकर्ताओं ने मांग रखी कि महामारी के दौर में प्रदेश सरकार इस मामले में हस्तक्षेप करें। विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा फीस के नाम पर किए जा रहे छात्रों के आर्थिक शोषण को बंद करें। शिक्षा मंत्री द्वारा आश्वासन दिया गया है कि वे इस मामले की जांच करेंगे और छात्रों को न्याय दिलाने का कार्य करेंगे।