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अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवसः जानें टाइगर से जुड़ीं खास बातें

समाचार फर्स्ट डेस्क |

आप जरूर किसी न किसी वाइल्ड लाईफ सेंचुरी में घूमने गए होगे। बात राष्ट्रीय पशु बाघ की करें, तो भई बहुत मजा आता है इन बाघों को जंगल में खुले घूमते देखकर। खुली जीप में घूमते हुए जरूर डर भी लगता होगा। पर इनकी तेजी से घटती बाघों की संख्या चिंता का विषय है।

इसपर सबका ध्यान जाए इसलिए 29 जुलाई को वर्ष में एक दिन अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जाता है  संसार भर से 97 प्रतिशत बाघ खत्म हो चुके हैं और लगभग 3000 से भी कम ही कुल जीवित बचे हैं। इनकी संख्या कम होने के कई कारण हैं, जैसे जंगलों का सिमटना, ग्लोबल वार्मिंग, लगातार शिकार करना आदि। इनकी तेजी से घटती संख्या को नियंत्रित करना बहुत जरूरी है, नहीं तो ये खत्म हो जाएंगे। बाघ एक तरह का जंगलों में रखा खुला सोना है। तस्कर इन बाघों का शिकार करते हैं, क्योंकि इनकी खाल, दांत, हड्डियां आदि बहुत महंगी होती हैं। इन्हें खेल, शिकार, परंपरा और दवाइयों के मकसद से मार दिया जाता था, पर अब इनका शिकार करने वालों को वर्षों जेल की सजा होती है।

बाघ के बारे में रोचक बातेः

  • बाघ को रोज-रोज शिकार करने की जरूरत नहीं पड़ती। वह पंद्रह-पंद्रह दिन तक बिना खाए रह सकता है और जिस वक्त खाते हैं तो एक ही वक्त में 35 किलोग्राम तक मीट खा लेते हैं। 
  • बाघ का कुल वजन लगभग 300 किलोग्राम तक होता है और इसके दिमाग का वजन भी 300 ग्राम तक होता है। इसके दो ऊपरी जबड़े के दांत और दो निचले जबड़े के दांत काफी नुकीले और बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। अगर ये दांत ही न रहें तो बाघ की खुद की जान को ही खतरा हो जाता है।
  • बाघ की एक बात बहुत कम लोगों को पता है कि यह अपने से बड़े जीव पर जल्दी से आक्रमण नहीं करता है, इसलिए बाघ का सामना होते ही डरने की बजाय बचने की कोशिश करनी चाहिए। इसके लिए अपनी दोनों एड़ियां ऊंची उठाकर दोनों बांहों को ऊपर की ओर सीधा उठाएं। इससे उसे लगेगा कि यह तो मुझसे भी बड़ा कोई जीव है, मैं इस पर आक्रमण नहीं कर सकता!
  • इंसान पर जल्दी से बाघ आक्रमण नहीं करता है। आक्रमण तभी करता है, जब उसे अपना शिकार बहुत समय से न मिल रहा हो। यदि बाघ के पैरों के निशान देखकर अंदाज लग रहा हो कि बाघ यहां भी आ सकता है तो तुरंत वन विभाग को इसकी सूचना देनी चाहिए। बाघ इंसान पर बेवजह आक्रमण नहीं करता है, क्योंकि बाघ बहुत शालीन जानवर है।