ग्रामीण संसद चुनने के लिए कड़ाके की ठंड में भी हजारों उम्मीदवार मैदान में डट गए हैं। मंडी जिले की 559 पंचायतों में ही प्रधान, उपप्रधान, पंचायत सदस्य, बीडीसी सदस्य और जिला परिषद के लिए 17 हजार के करीब उम्मीदवार मैदान में डटे हैं। इनमें कुल 4674 प्रतिनिधि चुने जाने हैं। हालांकि कई पंचायतों में निर्विरोध भी चुनाव हुआ है जिसका ऐलान होना अभी बाकी है। प्रधान, उपप्रधान, सदस्य, बीडीसी समेत ऐसे दर्जनों प्रतिनिधि हैं जो निर्विरोध चुने गए हैं। रोचक यह है कि जहां पंचायत प्रधान के लिए 2971 उम्मीदवार मैदान में आए हैं वहीं उपप्रधान पद के लिए 3656 उम्मीदवार मैदान में आ गए हैं।
उपप्रधान के लिए आरक्षण रोस्टर नहीं होता है ऐसे में जिसे कहीं जगह नहीं मिली वह उपप्रधान पद के लिए खड़ा हो गया। भले ही अभी बुधवार को नाम भी वापस लिए जा सकते हैं। मगर इसके बावजूद भी जिस तरह से उम्मीदवारों का रेला जैसा आ गया है वह अपने आप में इस ग्रामीण संसद में प्रतिनिधित्व लेने के लिए उत्साह को साफ तौर पर परिलक्षित कर रहा है। उपायुक्त मंडी के अनुसार पर्चों की जांच के बाद जिले में 559 पंचायत प्रधान, इतने ही उपप्रधान, 3271 पंचायत सदस्य, पंचायत समिति के लिए 249 व जिला परिषद के लिए 36 सदस्य चुने जाने हैं। इसके अलावा जिले में चार नगर परिषदों और 2 नगर पंचायतों के प्रतिनिधि चुने जाने है जिसका इन दिनों जोरों से प्रचार हो रहा है। इसके लिए मतदान 10 जनवरी को होना है। पंचायतों में यह मतदान 17, 19 और 21 जनवरी को होना है।
नामांकन पत्रों की जांच के बाद जो स्थिति जिले में बनी है उसके अनुसार पंचायत प्रधान के लिए 2971, उपप्रधान के लिए 3656, पंचायत सदस्य के लिए 8808, बीडीसी के लिए 1274 और जिला परिषद के लिए 212 उम्मीदवार हैं। इसके अलावा 152 उम्मीदवार स्थानीय निकाय में प्रतिनिधि बनने के लिए ठंड में पसीना बहा रहे हैं। अभी 15 सदस्यों वाली नवगठित मंडी नगर निगम के चुनाव होने बाकी हैं जो मार्च महीने में प्रस्तावित हैं। उपप्रधान के पद का आरक्षण नहीं है ऐसे में जो लोग पंचायत प्रतिनिधि बनने का मोह छोड़ना नहीं चाहते वह प्रधान पद आरक्षित हो जाने पर उपप्रधान पद के लिए उतर गए हैं। यही नहीं ऐसे भी सैंकड़ों उम्मीदवार हैं जो पहले प्रधान रह चुके हैं मगर अब चूंकि आरक्षण की चपेट में आकर बाहर हो गए तो उपप्रधान पद के लिए उतर गए ताकि उनका हस्तक्षेप पंचायत सत्ता में बना रहे।