हिमाचल प्रदेश विश्विद्यालय में शिक्षक भर्तियों में प्रशासन द्वारा की जा रही धांधलियों और भ्रष्टाचार के खिलाफ एनएसयूआई ने न्यायीक जांच की मांग की है। NSUI के प्रदेश अध्यक्ष छत्तर सिंह ठाकुर ने इस संबंध में हिमाचल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा है। मुख्य न्यायाधीश को लिखे पत्र में छत्तर सिंह ठाकुर ने आरोप लगाया है कि "हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में चल रही शिक्षक भर्तियों के दौरान विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा अपने चहेतों को फायदा पहुंचाने के मकसद से नियमों को दरकिनार कर धांधलियों और भ्रष्टाचार किया जा रहा है।
विश्वविद्यालय में चल रही शिक्षक भर्तियों में कई विभागों/विषयों के आवेदकों की छंटनी प्रक्रिया के दौरान विश्वविद्यालय प्रशासन ने नियमों के विरुद्ध जाकर अपने कुछ चहेते आवेदकों के ब्लड रिलेशन और नज़दीकी रिश्तेदारी के कुछ प्रोफेसरों को स्क्रूटिनी कमेटी में सदस्य बना दिया। कई विषयों की छंटनी प्रक्रिया में तो विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषदके सदस्यों को भी छंटनी/ स्क्रूटनी कमेटी में डाला गया था। विश्वविद्यालय में कार्यकारी परिषद किसी भी शिक्षक भर्ती में नियुक्ति प्राधिकारी होती है, इसलिए कार्यकारी परिषद का कोई भी सदस्य छंटनी/ स्क्रूटनी कमेटी का सदस्य नहीं हो सकता।
महोदय, उपरोक्त भ्रष्टाचार के मामले को लेकर हमने दिनांक 11-01-2021 को प्रेस वार्ता के माध्यम से प्रदेश सरकार से न्यायिक जांच की मांग की थी। इसके बाद भी इस मामले की न्यायिक जांच की मांग को लेकर दिनांक 14-01-2021 को माननीय राज्यपाल महोदय को ज्ञापन पात्र सौंपा गया था और दिनांक 15-01-2021 को हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यकारी परिषद (Executive Council) की बैठक से पहले कार्यकारी परिषद के सदस्यों को सौंपे गए मांग पत्र में भी इस भ्रष्टाचार मामले की न्यायिक जांच की मांग की गयी थी। लेकिन इस मामले को लेकर अभी तक किसी भी जगह से कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया है जो बहुत निराशापूर्ण है।
महोदय, इन सभी धांधलियों के कारण न केवल हमारे विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा व मान सम्मान को ठेस पहुंचा है बल्कि इसकी बहुत बदनामी भी हुई है। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की गरिमा एवं विश्वसनीयता और उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षा व अनुसंधान की गुणवत्ता को बनाये रखने के लिए भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (NSUI) की आप से प्रार्थना है कि उपरोक्त मामले का कड़ा संज्ञान लेते हुए आप इस भ्रष्टाचार की न्यायिक जांच के आदेश देने की कृपा करें।"