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वेलेंटाइन डेः स्पेशल स्टोरी में जानिए किस तरह प्रेम या महाप्रेम समाज से लड़कर दिव्यांग से की शादी

पी. चंद, शिमला |

आपने प्रेम प्रसंग की बहुत सी कहानियां सुनी देखी होंगी। वेलेंटाइन डे के पीछे भी प्रेम कहानी ही है। लेकिन आज प्रेम के मायने बदल गए हैं। प्रेम के लिए एक दिन मुकर्रर कर देना इस समुंदर के प्रति अन्याय करना होगा। आज हम आपको सच्चे प्रेम की पुजारिन की कहानी बताने जा रहे हैं। जिसमें प्रेम की सारी हदों को पार कर दिया। वैसे तो तन की खूबसूरती देखकर कोई भी आकर्षित हो जाता है लेकिन सच प्रेम मन से मन का मिलन है फ़िर चाहे प्रेम भगवान के प्रति हो या प्रेमिका के प्रति?

ये तस्वीर जिला कांगड़ा में जयसिंहपुर के नागवन की है जिसमें एक महिला अपने पति को गोद में उठाए है। ऐसा नहीं है कि इस महिला का पति शादी के बाद दिव्यांग बना। ये जन्म से ही दिव्यांग है। लेकिन जब सिलाई का काम सिखाते- सिखाते मोहब्बत परवान चढ़ी तो शशि और रेशमा हमसफ़र बन गए। समाज ने ताने देना शुरू किया तो दोनों पंजाब भाग गए। सड़कों पर रातें काटी, गुरुद्वारों में पेट की आग बुझाई। आखिरकार दर्जी का काम शुरू किया।

सब कुछ शांत हुआ तो दोनों घर वापिस आए। पत्नी रेशमा को आंगनबाड़ी में नौकरी मिल गई तो पति शशि अभी भी दर्जी का काम करता है। दोनों के दो बच्चे भी हैं। आज भी जब पति को बाहर काम के लिए जाना होता है तो पत्नी गोद में उठाकर गाड़ी तक पहुंचाती है। आज वेलेंटाइन डे है तो सोचा युवाओं को इस प्रेम प्रसंग से रूबरू करवाता चलूं। ताकि आज की युवा पीढ़ी को नग्नता शारीरिक प्रेम और सच्चे प्रेम में मायने समझाता चलूं।