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CM के ताबड़तोड़ दौरों ने अहम बना दिया मंडी नगर निगम का चुनाव, कांग्रेस के लिए चुनौती कम नहीं

बीरबल शर्मा |

महज 22 दिनों में मंडी के पांच दौरे करके मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने यह संकेत दे दिया है कि वह मंडी नगर निगम के चुनाव को गंभीरता से ले रहे हैं और खुद की राजनीतिक इच्छा शक्ति से गठित की गई मंडी नगर निगम के पहले चुनाव में वह भाजपा की सत्ता कायम करके ही दम लेंगे। इसके लिए उन्होंने जहां कानून में फेरबदल करके आबादी का मापदंड को 50 हजार से 40 हजार किया, पार्टी चिह्नों पर चुनाव करवाने का निर्णय लिया, तीन साल के लिए नए क्षेत्रों का टैक्स माफ किया, आयुक्त तैनात करने की आईएएस और एचपीएस अधिकारी के कार्यकाल की अवधि को भी घटाया । 

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर इस चुनाव को कितनी गंभीरता से ले रहे हैं । इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जब चुनाव आयोग इसकी तारीख का एलान करने वाला था तो उसके एक घंटा पहले तक भी मुख्यमंत्री मंडी में ही थे। शिवरात्रि मेले के लिए वह शुक्रवार को सुबह दस बजे से पहले ही मंडी पहुंचे और शहर के तीन क्षेत्रों तल्याड़, पुरानी मंडी में बड़े बड़े कामों के शिलान्यास रखे, नुक्कड़ सभाएं करके समर्थन मांगा, वहीं भियूली में एचआरटीसी के चालकों के सम्मेलन को भी संबोधित किया। 

इससे पहले मुख्यमंत्री बीते महीने के अंतिम दस दिनों में चार बार मंडी के दौरे पर आए और उन्होंने जहां सेरी मंच पर विशाल जनसभा को संबोधित किया व मंडी को नगर निगम बनाने के बदले में 15 के 15 वार्डों से जीत मांगी। मुख्यमंत्री ने शिवधाम, करोड़ों की पार्किंग के अलावा और भी कई काम जिनका सीधा संबंध नगर निगम क्षेत्र से हैं का भी शिलान्यास किया। उन्होंने स्वयं हर बार उम्मीदवारों को लेकर फीड बैक ली व अपने सबसे वरिष्ठ मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर को नगर निगम चुनावों का प्रभारी बनाया। महेंद्र सिंह ठाकुर पिछले कई दिनों से मंडी में ही डटे रहे हैं और हर वार्ड में कई कई कार्यक्रम कर चुके हैं। इसके अलावा प्रदेश महामंत्री व सुंदरनगर के विधायक राकेश जमवाल अलग से हर वार्ड में कार्यक्रम कर चुके हैं । 

अब चुनाव पार्टी चिह्नों पर होंगे तो दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा। क्योंकि इससे जीतने वालों को सत्ता के बल पर अपने पाले में करना आसान नहीं होगा। यह एक जोखिम जो मुख्यमंत्री ने उठाया है। इसके पीछे भी उनका शायद यही गणित है कि वह इन चुनावों के जरिए अपनी सरकार की लोकप्रियता की परीक्षा लेना चाहते हैं। अब देखना यही होगा कि मुख्यमंत्री के गृह जिले की नगर निगम समेत चारों नगर निगमों के चुनाव जो विधानसभा चुनावों को सेमीफाइनल कहे जा रहे हैं में मतदाता क्या प्रतिक्रिया देते हैं। 

दूसरी ओर कांग्रेस को मंडी जिले में संजीवनी के लिए यह चुनाव बेहद अहम हैं। विधानसभा में कांग्रेस का जिले से स्कोर शून्य है। कांग्रेस इस शून्य से बाहर आना चाहती है। अब तो उसके पास  यह बहाना भी नहीं रहेगा कि बंदे तो हमारे ही जीते मगर सरकार सत्ता के बल पर अपने पाले में ले गई। पार्टी चिह्न पर चुनाव होने से सब साफ साफ हो जाएगा।

देखने की बात यह भी होगी कि साइलेंट मोड पर चल रहे मंडी सदर के भाजपा विधायक अनिल शर्मा जिनका परिवार यानि बेटा व पिता कांग्रेस में हैं इन चुनावों में क्या रोल करते हैं। सुनने में तो यहां तक आ रहा है अनिल शर्मा कांग्रेस भाजपा में टिकट से वंचित रहने वाले जिताउ उम्मीदवारों को अंदरखाने अपना समर्थन दे सकते हैं ताकि मेयर व डिप्टी मेयर बनाने के मौके पर कोई गेम उनके हाथ में आ जाए। यही कारण है कि मंडी नगर निगम के चुनावों पर पूरे प्रदेश की नजरें रहेंगी क्योंकि एक तो यह मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर का गृह जिला है और इसमें कांग्रेस का शून्य स्कोर व अनिल शर्मा के परिवार का फेक्टर भी शामिल है।