समाचार फर्स्ट की खबर पर लगी मोहर समाचार फर्स्ट ने पालमपुर एसडीएम धर्मेश रमोत्रा के तबादले के मुद्दे को प्राथमिकता से उठाया था पिछले 7 दिन से हिमाचल की अफसरशाही और राजनीति में सियासत का अखाड़ा बने एसडीएम पालमपुर धर्मेश रमोत्रा की ट्रांसफर आखिरकार बुधवार को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने एक नेताजी का झूठ पकड़ने के बाद रद्द कर दी।
पालमुपर के इन नेताजी की शिकायत पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने त्वरित कार्रवाई करते हुए एसडीएम पालमपुर धर्मेश रमोत्रा को तुरंत प्रभाव से 10 मार्च को काजा ट्रांसफर कर दिया था। सूत्रों की माने तो एक नेताजी ने मुख्यमंत्री को की गई शिकायत में आरोप लगाया था कि पालमपुर में बीएस 4 वाहनों के पंजीकरण में हुई गड़बड़ में एसडीएम भी संदेह के घेरे में हैं। नगर निगम चुनाव में भाजपा को इसका नुकसान हो सकता है। इसलिए, एसडीएम की तुरंत ट्रांसफर की जाए। ट्रांसफर आर्डर के अगले दिन ही धर्मेश अपने पद से रिलीव हो गए थे। इसके बाद अफसरशाही और मुख्यमंत्री दफ्तर ने मामले की जांच की तो कहानी कुछ और ही निकलकर सामने आई।
सूत्रों के अनुसार जांच में सामने निकला कि नेताजी एसडीएम पर दवाब बना रहे थे कि नगर निगम पालमपुर के चुनाव को लेकर मतदाता सूची में उनके मुताबिक कुछ नाम जोड़े जाएं। यानी मतदाता सूची में नेताजी के मनमुताबिक गड़बड़ की जाए। एसडीएम ने नेताजी की यह कथित बात नहीं मानी। इसके बाद नेताजी ने मुख्यमंत्री से एसडीएम की शिकायत कर दी और आरोप कुछ और ही मढ़ दिया। जांच के बाद मुख्यमंत्री ने भी अपनी पार्टी के शिकायतकर्ता नेताजी को सबक सिखाते हुए एसडीएम धर्मेश रमोत्रा की ट्रांसफर रद्द कर दी।
अफसरों की ट्रांसफर होना आम बात है लेकिन, एसडीएम धर्मेश रमोत्रा की ट्रांसफर हिमाचल में सियासत का अखाड़ा बन गई थी। मंडी जिला के एक विधायक, राज्यसभा सांसद इंदु गोस्वामी से लेकर हिमाचल के कई वरिष्ठ अफसरों ने मुख्यमंत्री के समक्ष धर्मेश रमेत्रा की ट्रांसफर को लेकर नाराजगी जताई थी। इसके बाद मुख्यमंत्री ने जांच की तो बात कुछ और ही निकलकर सामने आई।