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बीजेपी से नहीं, जयराम सरकार और मंत्रियों के शासन से नाख़ुश है जनता और वोट बैंक!

मनीष कौल |

2022 में हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव का बिगुल बजेगा। लेकिन अभी से ही विधानसभा चुनावों की सियासी बहार काफी तेज बहने लगी हैं। बात की जाए जनता की आवाज़ की तो वे अभी तक डगमगाई ही नज़र आ रही है। साफ तौर पर जनता अभी तक किसी पार्टी को पूरी तरह समर्थन देने को तैयार नहीं। प्रदेश कांग्रेस को जनता के बीच जाने और विश्वास बनाने की जरूरत है तो बीजेपी को आपसी कलह ख़त्म करके एक काबिल सरकार बनाने की। कांग्रेस में वरिष्ठ नेता ही पार्टी को डोर संभाले हुए हैं जबकि बीजेपी नए नवेलों पर आंख बंद कर विश्वास कर रही है।

इसमें कोई दो राय नहीं कि प्रदेश में बीजेपी के पास कांग्रेस के मुकाबले कैडर वोट बैंक ज्यादा हो गया है, जिसके परिणाम उपचुनाव, पंचायत चुनाव वगैराह में देखने को भी मिले। लेकिन बीजेपी का ज्यादातर कैडर वोट बैंक और कुछ हद तक जनता जयराम सरकार की कुशलता पर जरूर सवाल उठा रही है। राजनीति के ज्यादातर ज्ञानियों का यही कहना है कि बीजेपी के अपने ही लोग जयराम सरकार और मंत्रियों के शासन से खुश नहीं हैं। हालांकि उनका वोट तो बीजेपी के ही ख़ाते में हैं लेकिन सरकार और मंत्रियों के कार्यप्रणाली से वे अपनी सरकार से अंदर ही अंदर निराष हैं। अंदर ही अंदर उनका मानना है कि आदतन तो सरकार अच्छी है लेकिन कार्य कुशलता में फिसड्डी है।

एक तर्क पर बात करें तो अभी तक जयराम सरकार ने साढ़े 3 सालों में कोई बड़ी उपलब्धि हासिल नहीं की है। इससे पहले भी हमने एक लेख प्रकाशित किया था जिसमें ये कहा गया था कि साढ़े तीन सालों तक मुख्यमंत्री का कार्यकाल कैसे गुजरा, जिसे आप नीचे लिंक पर पढ़ सकते हैं। इस लेख के हवाले से प्रदेश के मुखिया के नाम साढ़े 3 साल में कोई बड़ी उपलब्धि नहीं है। बात की जाए मंत्रियों की… तो अधिकतर मंत्रीगण अपने ही विभागों की जानकारी से अंजान होते हैं। इसका बड़ा उदाहरण है कि कई दफा के अजीब बयान देना। प्रदेश शिक्षा विभाग में लूट और निजीकरण, परिवहन विभाग में किराया-खटारा बसें, खाद्य आपूर्ति में घटिया राशन जैसी कई समस्याएं मंत्रियों के ढुलमुल रवैये की बदोलत हैं। अधिकारी मंत्रियों को या ग़लत जानकारी देता है, या फ़िर मंत्री के ढुलमुल रवैये से सभी विभाग गर्त में जा रहे हैं। ऐसे में प्रदेश की जनता और खुद बीजेपी वोट बैंक को मंत्रियों पर भी ज्यादा भरोसा नहीं रहा।

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पूर्व सरकारों के बदोलत उठा भरोसा!

इसमें कहा ये भी जा रहा है कि प्रदेश की पूर्व बीजेपी और कांग्रेस सरकारें भी एक कारण है जो इस नई नवेली सरकार पर लोग सवाल उठा रहे हैं। पूर्व बीजेपी के सरकारों में शांता कुमार औऱ प्रेम कुमार धूमल जैसे दिग्गज और अनुभवी नेता सत्ता में थे। कांग्रेस की ओर से वीरभद्र सिंह और उनके मंत्री प्रदेश की ताकतवर सरकारों में से एक रहे हैं। धूमल और शांता को पानी औऱ सड़क वाले मुख्यमंत्री का टैग तक मिला है। प्रदेश की जनता बेशक आज भी इनके लिए खटास या मिठास रखती हो लेकिन प्रदेश के विकास के लिए इनके योगदान को नहीं भूलती। अपने कार्यकाल में इन्होंने भी कई तरह अजीब बयान दिए हों या न दिए हों। लेकिन सरकार चलाने का अनुभव इन नेताओं ने पक्ष-विपक्ष में बैठकर सही तरीके से सीखा है। ऐसे में ये भी हो सकता है कि जनता ने पहले काफी ताकतवर सरकारें देखीं, लेकिन अब इस सरकार में कुशलता की कमी सामने आ रही हो।

क्या जनता को मुंह की खानी पड़ी?

इसमें कोई दो राय नहीं है कि जब 2017 के आखिर में बीजेपी सत्ता में आई थी और जयराम सरकार को मुख्यमंत्री बनाने को कहा गया था, तब प्रदेश की अधिकांश जनता और कैडर वोट बैंक ने खूब उम्मीद लगाई थी। जनता का एक ही कहना था शुक्र है कोई नया मुख्यमंत्री मिला है। हर बार वीरभद्र-धूमल वगैराह ही मिलते हैं। अब नया मुख्यमंत्री आया है तो मंत्रिमंडल भी नया और प्रदेश में कुछ नया होगा। जब जयराम ठाकुर मुख्यमंत्री बने तो सिर पर गुड़िया प्रकरण जैसी कई समस्याएं भी थी लेकिन दावा किया गया कि सब समस्याएं ख़त्म कर प्रदेश में विकास होगा। अभी तक साढ़े 3 साल हो चुके हैं और सरकार के नाम कोई बड़ी उपलब्धि नहीं है जिसकी बदोलत सरकार जनता से वोट मांग सके।

मांग रहे जयराम सरकार के नाम वोट

प्रदेश में इस वक़्त निगम चुनाव चल रहे हैं। इनमें सबसे अहम और रोमांचक मुकाबला मंडी निगम का होने वाला है क्योंकि ये मुख्यमंत्री का गृह जिला है। प्रदेश के मंत्री, मुख्यमंत्री औऱ भाजपा के कई नेता मंडी में ज्यादातर रैलियां कर रहे हैं। प्रदेश के बाकी जगहों पर भी विधायक और मंत्री जयराम सरकार के नाम पर वोट मांग रहे हैं। लेकिन जैसे की हमने पहले बात की अभी तक सरकार के नाम कोई बड़ी उपलब्धि नहीं है। ऐसे में मंत्री, विधायक  औऱ नेता क्यों सोचकर जयराम सरकार के नाम वोट मांग रहे हैं। रानजीति के ज्ञानियों का ये भी कहना है कि ये सब जानबूझ कर हो रहा है ताकि आगामी 2022 के चुनाव में बीजेपी का दूसरा धड़ा ध्वस्त ही रहे।

ग़ौरतलब है कि 2022 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। अभी तक बेशक जयराम सरकार ने कोई खास बड़ी उपलब्धि हासिल नहीं की लेकिन अभी भी वोट बैंक की बात की जाए तो बीजेपी आगे चल रही हैं। बीजेपी का वोट बैंक और कुछ जनता भी यही उम्मीद लगाए बैठा है कि कोई नया चेहरा और पुराना अनुभवी चेहरा आगामी दिनों में मिले। वहीं कांग्रेस अभी तक सुस्त रवैये से बाहर नहीं आ रही और अभी तक ग्राउंड पर रिपोर्ट कुछ ख़ास नहीं बनी है। आए दिन कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राठ़ौर के काम का राग अलापती रहती है लेकिन जिन दिग्गज औऱ वरिष्ठ नेताओं ने काम किए हैं उनके नाम कोई पब्लिसिटी नहीं हो रही।