छात्र अभिभावक मंच ने निजी स्कूलों की बढ़ती मनमानी पर सरकार के खिलाफ रोष जाहिर किया है। मंच का कहना है कि ट्यूशन में 15 से 65 फीसदी तक बढ़ोतरी की गई, कंप्यूटर फी को 100 फीसदी बढ़ाया गया, शिक्षकों की छंटनी करना, किताबों के नाम पर कमीशनखोरी की जा रही है। इस संदर्भ में सरकार की ओर से भी कोई कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई है। मंच ने चेतावनी दी है कि इस संदर्भ में अगर तुरन्त आदेश जारी न हुए तो मंच इसके खिलाफ मोर्चा खोलेगा और सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेगा।
मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि शिक्षा निदेशालय बिना जनरल हाउस के फीस बढ़ोतरी पर रोक लगाने के संदर्भ में वर्ष 2020 के स्वयं के आदेशों को लागू करवाने में पूर्णतः विफल रहा है। प्रदेश सरकार की नाकामी और उसके निजी स्कूलों से मिलीभगत के कारण निजी स्कूल दोबारा से मनमानी पर उतर आए हैं। ये स्कूल 2021 में दोबारा से सीधी लूट पर उतर आए हैं। इन स्कूलों ने इस वर्ष ट्यूशन फीस में अभिभावकों के साथ बिना किसी बैठक के टयूशन फीस में पन्द्रह से पैंसठ प्रतिशत तक की वृद्धि कर दी है।
निजी स्कूलों ने कम्प्यूटर फीस में सौ प्रतिशत तक की वृद्धि करके उसे दोगुना कर दिया है। जो अभिभावक निजी स्कूलों की लूट का विरोध कर रहे हैं, उन्हें व उनके बच्चों को मानसिक तौर पर प्रताड़ित किया जा रहा है। शिक्षा विभाग के 27 मई 2020 के आदेश अनुसार निजी स्कूल अध्यापकों व कर्मचारियों के कोरोना काल के वेतन का भुगतान भी नहीं कर रहे हैं। साफ़ कहें तो निजी स्कूल द्वारा एक ओर फीस बढ़ोतरी के नाम पर भारी लूट की जा रही है।
वहीं दूसरी ओर सीबीएसई व हि.प्र.स्कूल शिक्षा बोर्ड के दिशानिर्देशनुसार एनसीईआरटी व एससीईआरटी की सस्ती व गुणवत्तापूर्वक किताबों को लगाने के बजाए प्राइवेट पब्लिशर्ज़ की चार गुणा महंगी किताबों को बेचकर निजी स्कूल प्रबंधनों द्वारा अभिभावकों पर भारी आर्थिक बोझ लाद कर भारी मुनाफाखोरी की जा रही है। इस पर तुरन्त रोक लगनी चाहिए। निजी स्कूल अभी भी एनुअल चार्जेज़ की वसूली करके एडमिशन फीस को पिछले दरवाजे से वसूल रहे हैं व हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के वर्ष 2016 के निर्णय की अवहेलना कर रहे हैं जिसमें उच्च न्यायालय ने एडमिशन फीस सहित कई तरह के चार्जेज़ की वसूली पर रोक लगाई थी।