शिमला ग्रामीण अध्यक्ष यशवंत छाजटा ने वैश्विक महामारी के चलते बैंकों से लिए रिणों की ईएमआई को स्थगित करने और ब्याज दरों को माफ़ करने की मांग सरकार की है । उन्होंने कहा कि इस समय कारोबार पूरी तरह से ठप पड़ गया है और लोग इस स्थिति में नहीं है कि वह बैंकों की ईएमआई दे सके। दूसरी ओर हमारे किसान और बागवानों को भी दोहरी मार पड़ी है। एक तरफ कोरोना की मार और दूसरी तरफ बेमौसमी बर्फबारी और ओलावृष्टि से किसानों वह बागवनों की फसलें बिल्कुल तबाह हो चुकी है। वह इस हालत में नहीं है कि उनके द्वारा बैंकों में लिए गए कृषि रिण की ब्याज दरें और अन्य रिणों की ईएमआई दे सके।।
छाजटा ने कहा कि कोरोना कि दूसरी लहर में पिछले साल के मुताबिक इस बार लोगों के जीवन को बुरी तरह से प्रभावित कर दिया है। लोगों का काम धंधा चौपट हो गया है। बेरोजगारी से युवा परेशान हैं। बढ़ती महंगाई ने लोगों की कमर तोड़ दी है। प्रदेश के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि बागवानी पर्यटक और इससे जुड़े ट्रांसपोर्टेशन से ही है जिनका जो रिण है वे माफ़ किया जाए। आज कोरोना के बढ़ते मामलों ने प्रदेश की अर्थव्यवस्था को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है। लोगों को अपने परिवार की रोजी-रोटी की चिंता सता रही है। इस विपदा के समय सरकार को सभी तरह के बैंकों से रिण की वसूली भी तब तक स्थगित कर देनी चाहिए।
वहीं, प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ते कोरोना संक्रमण को लेकर भी छाजटा ने चिंता जताई। उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों में फैल गया है जो कि बहुत ही चिंता विषय है। सरकार बढ़ते संक्रमण को रोक पाने में पूरी तरह से असफल साबित हो रही है। कोरोना के दूसरे दौर में ग्रामीण क्षेत्रों में फैलाव बहुत अधिक फ़ैल गया है जो कि सरकार की नाकामियों को दर्शाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में पहले ही स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है। कहीं डॉक्टरों की कमी है तो कहीं स्टाफ की कमी तो कहीं दवाओं की साथ-साथ आवश्यक उपकरणों की भारी कमी है।
छाजटा ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में कोविड़ जांच की पूरी सुविधा ना होना इसका सीधा प्रभाव शहरी अस्पतालों में पड़ रहा है। ऐसे में कोरोना संक्रमित लोगों का जांच के लिए इधर से उधर जाना भी इसके फैलाव को बढ़ा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना टेस्टिंग की सुविधा बढ़ाने की बहुत ही आवश्यकता है।।