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शिमला: किसान आंदोलन के समर्थन और केंद्र सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ सीटू का प्रदर्शन

पी. चंद |

10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच और संयुक्त किसान मोर्चा के देशव्यापी आह्वान पर मजदूर संगठन सीटू ने कोविड नियमों का पालन करते हुए शिमला में प्रदर्शन किया और केंद्र व प्रदेश सरकार के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी की। इस दौरान लंबे समय से आंदोलन कर रहे किसानों के समर्थन और मोदी सरकार की जनविरोधी नीतियों का विरोध किया गया। सीटू ने आरोप लगाया कि केंद्र की मोदी सरकार ने पूंजीपतियों के लिए लूट के अवसर में तब्दील कर दिया है। यह सरकार महामारी के दौरान स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाने में पूर्णतः विफल रही है। कोरोना महामारी की आपदा में भी केंद्र सरकार ने केवल पूंजीपतियों के हितों की रखवाली की है।

सीटू नेताओं का कहना है कि कोरोना काल में लगभग पन्द्रह करोड़ मजदूर अपनी नौकरियों से वंचित हो चुके हैं। सरकार उनकी कोई मदद नहीं कर रही है। इसके विपरीत मजदूरों के 44 श्रम कानूनों को खत्म करके मजदूर विरोधी चार लेबर कोड बना दिए, किसानों को बर्बाद करने के लिए नए कानून ला दिए। हिमाचल प्रदेश में पांच हज़ार से ज़्यादा कारखानों में कार्यरत लगभग साढ़े तीन लाख मजदूरों के काम के घण्टों को आठ से बढ़ाकर बारह कर दिया गया। डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ, पैरामेडिकल सहित अन्य स्वास्थ्य कर्मियों, आशा, आंगनबाड़ी, सफाई, आउटसोर्स कर्मियों जो कोरोना योद्धाओं का रोल निभा रहे हैं सरकार उनकी रक्षा करने में  पूर्णतः असफल रही है। हिमाचल के पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लोग व कर्मी बर्बाद हो चुके हैं। हर वर्ग कोरोना की मार झेल रहा है लेकिन सरकार उनके लिए कुछ नहीं कर रही है।