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शिमला: IGMC ब्लड बैंक में हालत गंभीर, सिर्फ 50 यूनिट रक्त उपलब्ध, खरीद-फरोख्त का खतरा!

पी. चंद |

कोरोना संकट के बीच IGMC के ब्लड बैंक में रक्त लगभग समाप्त हो जाने के कारण खून की खरीद-फरोख्त का खतरा पैदा हो गया है। इससे एड्स एवं अन्य रक्त संचारित खतरनाक रोग फैल सकते हैं। उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो. अजय श्रीवास्तव और ट्रस्टी विनोद योगाचार्य ने कहा कि 1500 यूनिट रक्त संग्रह की क्षमता वाले आईजीएमसी ब्लड बैंक में आज सिर्फ 50 यूनिट रक्त उपलब्ध है और रोज लगभग 40 यूनिट रक्त की खपत है। मरीजों के तीमारदार खून के लिए दर-दर भटक रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग ने इन हालात से निपटने के लिए अभी तक कोई प्रयास नहीं किया। इसलिए बेबस मरीजों का जीवन बचाने के लिए उमंग फाउंडेशन हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करेगी।

प्रो अजय श्रीवास्तव और विनोद योगाचार्य ने कहा कि कोरोना संक्रमण के खतरनाक दौर में उमंग फाउंडेशन एवं अन्य स्वयंसेवी संस्थाएं खून जुटाने के लिए दिन रात प्रयास कर रही हैं। अकेले उमंग फाउंडेशन ने पिछले साल कर्फ्यू लगने के बाद से अभी तक 17 रक्तदान शिविर लगाए हैं। आजकल मुख्य तौर पर रक्त कैंसर के मरीजों, डायलिसिस वाले मरीजों, थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों, सर्जरी आदि के मरीजों को चढ़ाया जा रहा है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग, राज्य ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल, एड्स कंट्रोल सोसायटी और ब्लड बैंक इस गंभीर स्थिति से निपटने के लिए कोई प्रयास नहीं कर रहे। 

प्रो. अजय श्रीवास्तव ने कहा कि ब्लड बैंकों की व्यवस्था के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश से गठित की गई राज्य ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल प्रदेश में भंग पड़ी है। पांच साल से इसकी कोई बैठक ही नहीं हुई है। एड्स कंट्रोल सोसायटी दावा करती है कि वह ब्लड बैंकों की व्यवस्था का जिम्मा संभालती है। लेकिन ब्लड बैंकों में हर प्रकार की अव्यवस्था के बावजूद इस सोसाइटी ने कोई कदम नहीं उठाया।

उन्होंने बताया कि उनके अनुरोध पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने पिछले वर्ष और इस वर्ष भी रक्तदान के लिए जनता से अपील की। लेकिन गंभीर रक्त संकट होने के बावजूद अनुरोध किए जाने के बावजूद आईजीएमसी ब्लड बैंक ने आज तक मीडिया में रक्तदान के लिए अपील तक नहीं। मुख्यमंत्री के कारण रक्तदान शिविर लगाने में प्रशासनिक अड़चनें दूर हुई हैं। लेकिन शिमला के ब्लड बैंकों में अव्यवस्था का आलम बना हुआ है।

उनका कहना है कि ब्लड बैंक के अधिकारी दूरदरज से आए मरीजों को खून खुद जुटाने के लिए कहते हैं। उमंग फाउंडेशन एवं अन्य रक्तदाता संस्थाएं खून दान के शिविर लगाती हैं और जनता से रक्तदान की अपील करती हैं। लेकिन ब्लड बैंक के अधिकारी बयान देते हैं कि रक्त की कोई कमी नहीं है। यही नहीं जब संस्थाओं के कार्यकर्ता रक्तदाताओं को इमरजेंसी में मरीजों के आग्रह पर ब्लड बैंक भेजते हैं हैं तो अक्सर उनके साथ दुर्व्यवहार होता है और ब्लड बैंक अधिकारी द्वारा उनको रक्तदान का प्रमाण पत्र तक नहीं दिया जाता।

प्रो अजय श्रीवास्तव और विनोद योगाचार्य ने कहा कि इतनी गंभीर स्थिति में ब्लड बैंक ने बेबस मरीजों को मरने के लिए छोड़ दिया है। राज्य का स्वास्थ्य विभाग इसके लिए पूरी तरह जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि इस बारे में वे स्वास्थ्य मंत्री से भेंट कर विगत 29 जनवरी को एक विस्तृत विज्ञापन देकर राज्य की ब्लड बैंकिंग व्यवस्था में सुधार की मांग कर चुके हैं। इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग ने कोई कदम नहीं उठाया। उन्होंने कहा कि मजबूर होकर हालात में सुधार के लिए उमंग फाउंडेशन शीघ्र ही हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करेगी।