हिमाचल किसान सभा ने फोरलेन संयुक्त संघर्ष समिति द्वारा प्रदेश में किए जा रहे संघर्ष और मांगों का समर्थन करते हुए समिति से व्यापक आंदोलन विकसित करने की अपील की है। क्योंकि यह मुददा बसे-बसाये परिवारों के उजड़ने से जुड़ा हुआ है। बुधवार को शिमला में किरतपुर से मनाली फोरलेन से सम्बंधित लंबित शिकायतों के निपटारे हेतु शिक्षा मंत्री गोविंद ठाकुर की अध्यक्षता में गठित सब-कमेटी की बैठक हुई, जिसमें सरकार द्वारा फोरलेन में चार गुणा मुआवजा देने से अपने हाथ पीछे खींच लिए हैं।
हिमाचल किसान सभा के राज्य महासचिव डॉ. ओंकार शाद ने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार के तीन साल बीत जाने के बावजूद भी फोरलेन में भूमि अधिग्रहण के बदले मुआवजे के मामले को लेकर हिमाचल सरकार कोई फैसला नहीं ले पाई है। उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों से वादाखिलाफी की है। भाजपा अपने ही चुनावी घोषणापत्र एवं विजन दस्तावेज को लागू करने से पीछे हट रही है। हिमाचल किसान सभा मांग करती है कि हिमाचल सरकार फोरलेन में भूमि अधिग्रहण, 2013 कानून (पुनर्स्थापना, पुर्नवासन व चार गुणा मुआवजा) को लागू करे।
प्रस्तावित फोरलेन में आर्बिट्रेशन मामले पिछले 3 साल से मंडलीय न्यायालय में लंबित पड़े हैं और कोई सुनवाई नहीं हो रही है। दूसरी तरफ नगर एवं ग्राम योजना (टीसीपी) को सरकार ने लागू कर दिया। नगर ग्राम योजना के अंतर्गत प्रस्तावित फोरलेन के साथ लगते गांवों को टीसीपी योजना से निरस्त किया जाये। साथ ही राष्ट्रीय उच्च मार्ग प्राधिकरण से मांग की गई है कि फोरलेन की एवज में बचे हुए जमीन व मकान के अवार्ड घोषित किये जाएं और उनके मुआवजे का निपटारा भूमि अधिग्रहण अधिकारी द्वारा अतीशीघ्र किया जाए और जिन बचे हुए मकानों के नीचे की जमीन ले ली गई है उनका मूल्यांकन भी किया जाय।
हिमाचल किसान सभा, सरकार से मांग करती है कि स्थानीय लोगों को रोजगार, विस्थापित दुकानदारों को उचित मुआवजा, रोड प्लान में बदलाव, टनल के कारण घरों के नुकसान का मुआवजा, पानी का रिसाव, जमीन का कटाव, प्रस्तावित बस स्टैंड के पास पैदल पथ या भूमिगत रास्ते बनाये जाने और सम्पर्क मार्ग के लिए टी पॉइंट और टेलीफोन लाइन और पानी की निकासी हेतु भूमिगत पुल, कुएं एवं हैण्ड पंप बनवाए जाएं और स्कूलों व मन्दिरों को पुनर्स्थापित किया जाये।