IGMC शिमला में लंगर लगाने वाले सरबजीत बॉबी को अस्पताल से हटाने पर विरोध होना शुरू हो गया है। पूर्व मंत्री जीएस बाली ने इस घटना पर आक्रोश जाहिर किया है। जीएस बाली ने कहा कि ‘IGMC शिमला प्रदेश का सबसे बड़ा अस्पताल है। पूरे प्रदेश से मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं। साथ ही उनके पारिवारिक सदस्य भी होते हैं। आज खबर मिली शिमला के समाजसेवी सरबजीत सिंह बॉबी जो यहां निशुल्क लंगर मरीजों और उनके साथ आने वाले लोगो के लिए बरसों से चला रहे थे वो लंगर प्रदेश सरकार-प्रशासन ने बंद करवा दिया है और बकायदा बलपूर्वक पुलिस का सहयोग इसमें लिया गया।
मुझे नहीं पता ऐसी स्थिति क्यों उत्पन हुई कि रोज बीमारी से जूझ रहे परिवारों के हजारों लोगों के भोजन की व्यव्यस्था अपने संसाधनों से करने वाली संस्था और या व्यक्ति के इस नेक और पुनीत काम को इस तरह से बंद करवा दिया गया। सरबजीत बॉबी की इस मुहिम का अनुसरण प्रदेश में और भी कई अस्पतालों में किया गया। समाज सिर्फ सरकारों के भरोसे नहीं चल सकता। समाज सेवकों और निस्वार्थ भाव से काम करने वाले लोगो की भूमिका और सहयोग इसमें रहता है। जैसा कि सुनने में आ रहा है कैंटीन ठेकेदारों के फायदे के लिए ऐसा किया गया है तो यह बहुत ही दुखद और अचंभित करने वाली बात है।
निशुल्क लंगर को इस मुहिम को सरकार का प्रोत्साहन मिलना चाहिए था। कोई अड़चन इसे आगे बढ़ाने में थी तो सरकार विशेष अधिकार से अनुमति दे सकती थी। सरकारें कई मामलों में ऐसा करती आई हैं। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह जी ने इस नेक मुहिम की हरसंभव मदद की थी। शिमला महंगा शहर है हजारों गरीब लोग इलाज के लिए यहां पहुंचते हैं। लंगर में दो वक्त का निशुल्क भोजन भी उन लोगों के लिए अहमियत रखता है जो आर्थिक रूप से एक तो संपन्न नहीं उपर से बीमारी और इलाज के खर्च के उलझे हैं।
मेरा सरकार से अनुरोध है, यह लंगर गरीब जनता और दुख में फंसे लोगों की ही यथासंभव मदद कर रहा था । ऐसी मुहिम को आगे बढ़ाने में मदद की जाए न कि गिराने में। सरकार सरबजीत बाबी की मुहीम का सम्मान करें और उन्हे उपयुक्त जगह मुहैया करवाये ताकि यह निशुल्क लंगर और उनकी यह मुहिम आम जनता की मदद इसी तरह करते रहें।’