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25 साल बाद सदन में गरजे राकेश सिंघा, पहले ही दिन उठाया गुड़िया और किसानों का मुद्दा

समाचार फर्स्ट डेस्क |

25 साल बाद विधानसभा में वापसी करने वाले सीपीएम नेता और ठियोग से विधायक राकेश सिंघा गुरूवार को सदन में जमकर बरसे। अपने 11 मिनट के भाषण में सिंघा ने सत्ता और विपक्ष दोनों को नसीहतें दीं। अपने भाषण के दौरान सिंघा ने जता दिया कि आने वाले दिनों में उनकी आवाज भूमिहीन, ग़रीब किसान और बिगड़ती कानून व्यवस्था को लेकर और बुलंद होने वाली है।

राकेश सिंघा ने अपने भाषण की शुरुआत जीते हुए प्रतिनिधियों को शुभकामना देने से की। इसके बाद सिंघा ने कहा कि उन्हें 25 साल बाद सदन में बोलने का मौका मिल रहा है, लेकिन सिस्टम में विधायिका और न्यायपालिका का स्वरूप धूमिल होता जा रहा है। उन्होंने, पिछली और वर्तमान सरकार की नीतियों को कटघरे में खड़ा किया।

जयराम सरकार का घेराव

अपने भाषण में सिंघा ने राज्यपाल के अभिभाषण को आधार बनाकर जयराम सरकार को टारगेट पर लिया। उन्होंने कहा कि बहुत अफसोस की बात है कि अभिभाषण में भूमिहीन, किसान और मजदूरों के लिए किसी नीति का जिक्र तक नहीं है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि हो सकता है कि शायद जल्दबाजी में नई सरकार से ग़लती हो गई हो, लेकिन वे उम्मीद करते हैं कि सरकार इस ग़लती को जल्द ठीक करे और जरूरतमंदों का ख्याल रखते हुए नीतियों को विस्तार दे।

उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार को यह देखना होगा कि वह पिछली सरकार की तरह ही काम करती है या लोगों की असल जरूरतों को ध्यान में रखते हुए अपना दायित्व पूरा करती है।

कांग्रेस को भी दे डाली नसीहत

गुड़िया और होशियार सिंह मर्डर केस के अलावा किसान तथा भूमिहीनों पर राकेश सिंघा ने कांग्रेस को भी कटघरे में खड़ा किया। उन्होंने 2002 में बने कानून का हवाला देकर भूमिहीनों के मसले को सदन पटल के सामने रखा। उन्होंने कहा कि हर सरकार जमीन देने का झूठा आश्वासन देती है, जबकि प्रदेश के पास जमीन ही कम है। सिंघा ने अनुरोध किया कि किसी की भई सरकार हो जनता की आंख में धूल झोंकने का काम ना करे, बल्कि सकारात्मक राजनीति के तहत काम करे, इसमें हर किसी का सहयोग मिलेगा।

गुड़िया और होशियार सिंह के मसला उठाते हुए उन्होंने कहा कि यह प्रदेश के लिए बेहद दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी। इस दौरान उन्होंने इन मामले में शामिल पुलिस के आला अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए। उन्होंने इन घटनाओं के पीछे तत्कालीन सरकार और प्रशासन की मिलीभगत करार दिया।

भाषण खत्म करते हुए राकेश सिंघा ने कहा कि आने वाले दिनों में अगर सरकार लोकहित में अच्छे कदम उठाती है, तो उसका व्यापक स्तर पर वे समर्थन करेंगे। लेकिन, अगर जनता से जुड़े मुद्दों को छोड़ा गया तो वे बुलंद आवाज में अपना विरोध सदन पटल पर रखेंगे। ग़ौरतलब है कि राकेश सिंघा वाम विचारधारा से सदन में पहुंचने वाले इकलौते विधायक हैं। पॉलिटिकल पंडितों का मानना है कि हिमाचल में लेफ्ट की राजनीति किस दिशा में जाएगी यह सिंघा के परफॉर्मेंस पर निर्भर करेगा।