माघ कृष्ण पक्ष की उदया तिथि चतुर्दशी और सोमवार का दिन के दिन अमावस्या पड़ रही है। अमावस्या तिथि 31 जनवरी को दोपहर 2 बजकर 20 मिनट से 1 फरवरी को सुबह 11 बजकर 16 मिनट तक रहेगी। जब अमावस्या दो दिनों की होती है, तो पहले दिन श्राद्ध आदि की अमावस्या मनायी जाती है और अगले दिन स्नान-दान की अमावस्या मनायी जाती है। सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या के नाम से जानते हैं। सोमवती अमावस्या के दिन ज्योतिषी से जुड़े कुछ खास उपाय करने से आपको अलग-अलग फलों की प्राप्ति होती है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक…
31 जनवरी को सोमवती अमावस्या
- अगर आपके परिवार का कोई सदस्य कुछ दिनों से अस्वस्थ है या आप स्वयं अस्वस्थ हैं तो इस दिन स्नान आदि के बाद अस्वस्थ व्यक्ति के पहने हुए कपड़े से एक धागा निकाल लें और उस धागे को रूई के साथ मिलाकर उसकी बत्ती बना लें। अब एक मिट्टी के दिये में सरसों का तेल डालकर, वह बाती लगा दें और हनुमान जी के मन्दिर के बाहर वह दीपक जला दें।
- अगर आप बेरोजगारी की समस्या से परेशान हैं या आपको लगता है कि आपका कोई सीनियर आपके प्रमोशन में बाधा बन रहा है, तो आज शाम के समय एक नींबू लेकर, उसके चार अलग-अलग टुकड़े कर दें और किसी चौराहे पर जाकर चुपचाप चारों दिशाओं में एक-एक नींबू का टुकड़ा फेंक दें।
- अगर आपकी कोई खास इच्छा है, जो बहुत समय से पूरी नहीं हो पा रही है तो एक नारियल लेकर उसे देवी मां का नाम लेकर तोड़ दें। अन्दर से प्राप्त गिरी के 42 टुकड़े करें। 3 टुकड़े भगवान शंकर को चढ़ायें, नौ टुकड़ें छोटी कन्याओं को बांट दें। दो टुकड़े दर्जी को, दो टुकड़े माली को, दो टुकड़े कुम्हार को प्रसाद के रूप में बांट दें और चार टुकड़े अपने लिये रख कर शेष बीस टुकड़े मन्दिर में चढ़ा दें या प्रसाद के रूप में बांट दें।
- अपने करियर को एक नई दिशा देने के लिये आज एक पानी वाला नारियल लें और उस पर लाल रंग का धागा सात बार लपेटकर अपने ईष्ट देव का ध्यान करते हुए बहते पानी में प्रवाहित कर दें।
- अपने परिवार से सारी परेशानियों को मिटाने के लिये और खुशियों को बरकरार रखने के लिये आज 5 लाल फूल और 5 तेल के दीपक जलाकर बहते पानी में प्रवाहित कर दें । अगर ये उपाय आप शाम को दिन छिपने के बाद करें, तो और भी अच्छा है । बाकी आप अपनी सुविधा के अनुसार कर सकते हैं।
- अगर खूब मेहनत के बावजूद भी आपको पैसों के मामले में सफलता प्राप्त नहीं हो रही है, तो आज आपको स्नान आदि के बाद विधि-पूर्वक धूप-दीप आदि से देवी मां की पूजा करनी चाहिए और उसके बाद देवी मां का ध्यान करते हुए चावल से हवन करना चाहिए।