देश भर में महाशिवरात्रि का पर्व बड़े धूम धाम से मनाया जाता है। इस दिन लोग भगवान शिव की भक्ति में लीन होकर व्रत-उपवास रखते हैं। शिव मंदिरों में शिवलिंग की खूब पूजा अर्चना की जाती है। लोग फल, बिल पत्तरी, दूध आदि चढ़ाकर भगवान शिव को प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं। लेकिन आप जानते हैं कि आख़िरकार महाशिवरात्रि क्यों कहा जाता है।
सोशल मीडिया से लेकर किताबों तक को खंगाले अलग अलग तथ्य मालूम पड़ते हैं। इतना जरूर है कि हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवरात्रि कहते हैं। लेकिन फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी पर पड़ने वाली शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहा जाता है, जिसे बड़े ही हषोर्ल्लास और भक्ति के साथ मनाया जाता है। शिवरात्रि बोधोत्सव है। ऐसा महोत्सव, जिसमें अपना बोध होता है कि हम भी शिव का अंश हैं, उनके संरक्षण में हैं।
माना जाता है कि इसी दिन शिव ने पहली बार खुद को लिंग रूप में प्रकट किया था। तभी से इस दिन को बहुत ही शुभ और विशेष माना जाता है और महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। इस दिन शिव की पूजा करने से उस व्यक्ति को सुख और समृद्धि प्राप्त होती है।
एक अन्य कथा के अनुसार, महाशिवरात्रि को लेकर शिव पुराण में कई रोचक कथाओं का जिक्र किया गया है। एक कथा के अनुसार शिव जी को पति रूप में पाने के लिए मां पार्वती ने कठिन तपस्या की थी और फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को उन्होंने मां पार्वती को पत्नी रूप में स्वीकार किया। इसलिए इस दिन को महत्वपूर्ण माना जाता है।
सोशल मीडिया पर ये जानकारी
महाशिवरात्रि भारतीयों का एक प्रमुख त्यौहार है। यह भगवान शिव का प्रमुख पर्व है। माघ फागुन कृष्ण पक्ष त्रयोदशी को महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाता है। माना जाता है कि सृष्टि का प्रारम्भ इसी दिन से हुआ। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन सृष्टि का आरम्भ अग्निलिंग (जो महादेव का विशालकाय स्वरूप है) के उदय से हुआ। इसी दिन भगवान शिव का विवाह देवी पार्वती के साथ हुआ था। साल में होने वाली 12 शिवरात्रियों में से महाशिवरात्रि को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। भारत सहित पूरी दुनिया में महाशिवरात्रि का पावन पर्व बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है।