हिमाचल प्रदेश आउटसोर्स कर्मचारी यूनियन संबंधित सीटू के बैनर तले प्रदेश के सैंकड़ों मजदूर अपनी मांगों को लेकर 9 मार्च को विधानसभा का घेराव करेंगे और मुख्यमंत्री को मांग-पत्र सौंपेंगे। प्रदर्शन की तैयारी के लिए यूनियन के पदाधिकारियों की बैठक सीटू राज्य कार्यालय शिमला में सम्पन्न हुई।
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा और अन्य पदाधिकारियों ने प्रदेश सरकार से आउटसोर्स कर्मियों की मांगों को तुरन्त पूर्ण करने की मांग की है। उन्होंने आउटसोर्स कर्मियों के लिए नीति बनाने और उन्हें नियमित कर्मचारी घोषित करने की मांग की है। उन्होंने आउटसोर्स कर्मियों के लिए प्रतिमाह साढ़े दस हज़ार रुपये वेतन की घोषणा को कोरा मज़ाक करार दिया है। उन्होंने मांग की है कि 15वें भारतीय श्रम सम्मेलन व सन 1992 के सुप्रीम कोर्ट की सिफारिश अनुसार आउटसोर्स कर्मियों को 26 हज़ार रुपये न्यूनतम वेतन दिया जाए।
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के निर्णयानुसार समान काम का समान वेतन दिया जाए। फिक्स टर्म रोज़गार व लेबर कोड को तुरन्त निरस्त किया जाए। आउटसोर्स कर्मचारियों को सभी प्रकार की छुट्टियों, ईपीएफ, ईएसआई, ग्रेच्युटी, पेंशन और ओवरटाइम वेतन की सुविधा पूर्ण रूप से लागू की जाए। उन्होंने प्रदेश सरकार पर आरोप लगाया है कि वह प्रदेश के तीस हजार आउटसोर्स कर्मियों का शोषण और अनदेखी कर रही है। प्रदेश सरकार बार-बार घोषणाएं करने के बावजूद आउटसोर्स कर्मियों के लिए नीति नहीं बना रही है।
उन्होंने मांग की है कि सरकार वर्तमान बजट सत्र में ही कर्मियों के लिए नीति बनाकर उनकी सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करें और उन्हें नियमित कर्मचारी घोषित करे।