अंतर्राष्ट्रीय मंडी शिवरात्रि महोत्सव के दौरान हर साल की भांति इस बार भी मेला कमेटी की ओर से मेले में आए देवी-देवताओं के देवलुओं और बजंतरियों के लिए देवलु नाटी और वाद्ययंत्र प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। तीन दिन तक चली इस प्रतियोगिता में सैंकड़ों देवलुओं और बजंतरियों ने अपने नृत्य कौशल और बजंतरी हुनर का प्रदर्शन किया। देवलु नाटी प्रतियोगिता 2022 की विजेता इस बार श्री देव पुंडरिक ऋषि पंजाई की टीम रही है। जबकि दूसरे स्थान पर श्री देव डगाहंडू शारटी और श्री देव कश्यपी दैंत का दल तीसरे स्थान पर रहा है।
सर्व देवता सेवा समिति के अध्यक्ष शिवपाल शर्मा ने बताया कि इस बार देवलु नाटी व बजंतरी प्रतियोगिता का आयोजन इसलिए किया जाता है कि आने वाली पीढ़ी अपनी संस्कृति से जुड़ी रहे। उन्होंने बताया कि बजंतरी देवसमाज का महत्वपूर्ण अंग है। बजंतरियों के बिना देवता एक कदम भी नहीं चलता है। अगर यह कला समाप्त हो गई तो आने वाले समय में इन लोकवाद्यों को बजाने वाला भी कोई नहीं रहेगा। वाद्ययंत्र प्रतियोगिता से बजंतरियों में प्रतिस्पर्घा की भावना जागृत होती है। जिससे इस कला को भी प्रोत्साहन मिलता है।
उन्होंने बताया कि देवलु नाटी प्रतियोगिता 2022 की विजेता इस बार श्री देव पुंडरिक ऋषि पंजाई की टीम रही है। जबकि दूसरे स्थान पर श्री देव डगाहंडू शारटी और श्री देव कश्यपी दैंत का दल तीसरे स्थान पर रहा है। वहीं पर सुहड़ा का गहरी हलगड़ की टीम को सांतवना पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। उन्होंने बताया कि प्रथम, द्वित्तीय और तृत्तीय स्थान पर रहने वाले दल को क्रमश दस हजार, आठ हजार और छह हजार रूपए की पुरस्कार राशि मेला कमेटी की ओर से महामहीम राज्यपाल महोदय के कर कमलों से बुधवार को मेले के समापन्न अवसर पर प्रदान की जाएगी।
इसी प्रकार वाद्ययंत्र प्रतियोगिता में देव आदिब्रम्हा के बजंतरी दल को प्रथम, देव छमाहूं बालीचौकी के दल को दूसरा और श्री अजयपाल द्रंग के दल को तीसरा स्थान हासिल हुआ है। जबकि देव बिटठू नारायण के बजंतरी दल को सांतवना पुरस्कार मिला है। उन्होंने बताया कि तीन दिन तक चली इन दोनों प्रतियोगिताओं में करीब डेढ़ सौ दलों ने प्रस्तुति दी। निर्णायक के रूप में साहित्यकार मुरारी शर्मा, लोक गायिका कृष्णा ठाकुर और लोककलाकार बीरी सिंह ने योगदान दिया।