अक्सर ऐसे चमत्कारों की ख़बरें उठती रहती हैं कि किसी मंदिर में मौजूद मूर्ती की आँख से आंसू निकल रहे हैं या फिर किसी मूर्ती ने दूध पिया या पानी पिया है। ऐसा ही कुछ एक बार फिर से सामने आया है हिमाचल प्रदेश मंडी के लडभड़ोल शिव मंदिर में। यहां भक्तों का मानना है कि नंदी की मूर्ति पानी पी रही है। फाल्गुन का पवित्र माह चल रहा है और साल का सबसे पहला त्यौहार होली बस आने को ही है।
इस माह को भी धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण और आस्था का केंद्र माना जाता है। ऐसे में चलिए आपको बताते हैं चमत्कार के पीछे छिपे साइंस के गहरे राज के बारे में… कि आखिरकार ये चमत्कार कैसे होता है। इस बात से जुड़े कुछ वैज्ञानिक तथ्य हैं…
- दरअसल ये चमत्कार जो आप सोशल मीडिया या टीवी पर देखते हैं वो चमत्कार विज्ञान का है। सर्फेस टेंशन या प्रष्ठ तनाव के कारण ये चीजें होती हैं।
- मूर्तियों में तमाम पोर्स या छोटे-छोटे छिद्र होते हैं जिससे लिक्विड अंदर की ओर सक हो जाता है।
- इन सकिंग पोर्स के पास कोई भी लिक्विड या दूध जब लाया जाता है तो वो इन्हीं पोर्स से होता हुआ मूर्ति के अंदर चला जाता है और हम ये कहते हैं कि मूर्ति दूध पी रही है।
- ध्यान देने योग्य बात ये है कि फाल्गुन के पहले भयंकर सर्दी पड़ती है और जब पानी पड़ता है तो ये वैक्युम पोर्स या सकिंग पोर्स एक्टिव हो जाते हैं।
ग़ौरतलब है कि इससे पहले एक खबर ने देशभर में हंगामा मचा दिया था। 1995 में 21 सितंबर (गणेश चतुर्थी) को यह अफवाह फैली की गणेश प्रतिमाएं दूध पी रही हैं। देखते ही देखते मंदिरों में भीड़ लग गई। मीडिया पर अटलजी समेत कई नेता गणेशजी को दूध पिलाते दिख रहे थे। ऐसे में मूर्तियों के असल में दूध या पानी पीने के क्या कारण रहते हैं ये विज्ञान के लहजे से हमने आपको बताया।