केंद्र की बीजेपी सरकार द्वारा देश की जनता से किए गए वायदों को पूरा न करने पर मजदूर संगठनों ने आज केंद्र सरकार के खिलाफ हल्ला बोला। केंद्र के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए इन संगठनों से जुड़े मजदूरों ने सत्याग्रह किया। इस दौरान मजदूर संगठनों के कार्यकर्ताओं ने न्यूनतम वेतन 18 हजार रूपए करने की मांग के साथ साथ केंद्र सरकार के जनविरोधी फैसलों को लेकर उसके खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की।
सीटू, एटक और इंटक ने लिया हिस्सा
केंद्र सरकार के खिलाफ किए गए सत्याग्रह में मजदूर संगठन सीटू, एटक और इंटक से सम्बद्ध सभी यूनियनों ने हिस्सा लिया। ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच के शिमला जिला संयोजक व सीटू नेता विजेंद्र मेहरा ने कहा कि उनकी मांग है कि लगातार बढ़ रही महंगाई के मध्यनजर मजदूरों का न्यूनतम वेतन 18 हज़ार रुपए किया जाए। उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी, मिड डे मील व आशा जैसे स्कीम वर्करों के रोजगार को खत्म करने के लिए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है। उन्होंने समान काम काम समान वेतन देने की भी मांग की।
सिफारिशों को किया जाए रेगुलर
मेहरा ने कहा कि उनकी मांग है कि स्कीम वर्करों को 45वें व 46वें राष्ट्रीय श्रम सम्मेलन की सिफारिशों के अनुसार रेगुलर किया जाए। उनका कहना था कि बीएसएनएल, एलआईसी व बैंकिंग जैसे सार्वजनिक क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2003 के बाद नियुक्त कर्मचारियों को पेंशन नहीं दी जा रही है। उनकी मांग है कि इसे बहाल किया जा। वहीं, रिटायर्ड कर्मचारियों को पेंशन का भुगतान किया जाए।