विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद समाजवादी पार्टी (सपा) ने शनिवार को विधायक दल की बैठक बुलाई। बैठक में सरकार को सड़क से सदन तक घेरने की रणनीति बनानी थी, लेकिन इससे पहले सपा में एक बार फिर अंदरुनी झगड़े की आहट सुनाई देनी लगी। अखिलेश यादव ने एक बार फिर चाचा शिवपाल यादव को बड़ा झटका देते हुए उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया।
दो दिन से उम्मीद लगाकर लखनऊ में डेरा डाले शिवपाल यादव को विधायक दल की बैठक में नहीं बुलाया गया है। इससे शिवपाल यादव ने नाराजगी भी जाहिर की है। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के प्रमुख शिवपाल यादव को सपा के चुनाव चिह्न पर ही जसवंतनगर सीट से चुनाव लड़ाया गया था। ऐसे में शिवपाल यादव को पूरी उम्मीद थी कि विधायक दल की बैठक में उन्हें बुलाया जाएगा।
शिवपाल यादव ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा कि उन्हें जानकारी मिली की विधायक दल की बैठक होनी है तो वह लखनऊ में ही दो दिन से रुके हुए थे। शिवपाल ने कहा, ”मुझे पार्टी की बैठक में नहीं बुलाया गया है। मैं दो दिन से इंतजार कर रहा था, इस बैठक में शामिल होने के लिए मैंने अपने दूसरे सारे प्रोग्राम कैंसल कर दिए, लेकिन मुझे बुलाया नहीं गया। मैं सपा का विधायक हूं, फिर भी नहीं बुलाया गया।एक अन्य टीवी चैनल ने जब शिवपाल यादव से पूछा कि उनका अगला कदम क्या होगा तो उन्होंने अभी पत्ते खोलने से इनकार किया और कहा कि समर्थकों से विचार-विमर्श के बाद ही वह कोई फैसला करेंगे।
विपक्ष में बैठने का जनादेश मिलने के बाद यह भी अटकलें थीं कि शिवपाल यादव को विपक्ष का नेता भी बनाया जा सकता है। हालांकि, अखिलेश यादव ने संसद से इस्तीफा देकर विधानसभा में रहने का फैसला किया है। ऐसे में माना जा रहा है कि वह खुद नेता विरोधी दल बनकर योगी आदित्यनाथ को सीधी चुनौती देना चाहेंगे।