चुनाव 2022

यूपी में बुरी हार के बाद फिर सक्रिय हुईं मायावती, दलित-ओबीसी-मुस्लिम-सवर्ण का बनाया ग्रुप

उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में बीएसपी के अब तक के सबसे खराब प्रदर्शन के बाद मायावती सक्रिय हो गई हैं और ऊपर से नीचे तक संगठन के पेच कसे जा रहे हैं। इसी कड़ी में रविवार को लखनऊ में मायावती ने बीएसपी की हार की समीक्षा के लिए मीटिंग बुलाई थी। इस बैठक में यह फैसला यह हुआ है कि बीएसपी में राज्य के 4 महत्वपूर्ण समूहों को समान प्रतिनिधित्व दिया जाएगा। ये समूह हैं- दलित, ओबीसी, मुस्लिम और सवर्ण। दरअसल अब तक बीएसपी की ओर से हर विधानसभा में एक समन्वयक यानी कोऑर्डिनेटर नियुक्त किया जाता था। आमतौर पर यह जिम्मेदारी दलित नेताओं को मिलती थी। लेकिन अब मायावती ने प्लान बनाया है कि हर विधानसभा में 4 नेताओं को जिम्मा दिया जाए। ये चारों नेता अलग-अलग वर्गों के होंगे।

इस बार के विधानसभा चुनाव में बीएसपी को महज 12,88 फीसदी ही वोट मिले और सिर्फ एक सीट पर ही संतोष करना पड़ा। खुद मायावती ने माना की उनकी अपनी जाटव बिरादरी के अलावा अन्य वर्गों का समर्थन उन्हें नहीं मिल सका। ऐसे में उन्होंने अन्य समुदायों को भी लुभाने के लिए प्लानिंग तेज कर दी है। फिलहाल बसपा का पूरा फोकस 2024 के आम चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने पर है। एक सीनियर लीडर ने कहा, ‘अब तक हर विधानसभा में एक अध्यक्ष होता था और यह अनुसूचित जाति का ही होता था। अब इस लेवल पर 4 नेता नियुक्त किए जाएंगे। मायावती ने जल्दी ही उनके पदनामों के ऐलान का फैसला लिया है। ये 4 नेता अलग-अलग समुदायों के होंगे।’

उन्होंने कहा कि इन नेताओं को जिम्मेदारी दी जाएगी कि वे अपने समुदायों को पार्टी के साथ जोड़ने का काम करें। विधानसभा के लेवल पर इस तरह से काम किए जाने से फायदे की उम्मीद है। बीएसपी लीडर ने कहा कि नुक्कड़ सभाओं और रैलियों से ज्यादा जोर रहेगा कि ये नेता व्यक्तिगत तौर पर अपने समुदायों के बीच जाएं और उन्हें साथ लाने का काम करें। बता दें कि मायावती ने कड़े फैसले लेते हुए 18 जोनल कॉर्डिनेटर्स को हटा दिया है और तीन नए समन्वयक नियुक्त किए हैं। इन तीन नेताओं में दो दलित हैं, जबकि एक मुस्लिम लीडर है।

बसपा नेता ने कहा कि इन तीन कोऑर्डिनेटर्स की रिपोर्ट के आधार पर हर विधानसभा में नेताओं की नियुक्ति की जाएगी। इसके अलावा भाईचारा कमेटियों की एक बार फिर से शुरुआत होगी। बता दें कि विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद मायावती ने कहा था कि यदि मुस्लिमों ने हमें वोट दिया होता तो फिर दलितों के अपने बेस वोट के साथ बीएसपी ही भाजपा को हरा सकती थी। मायावती ने अपनी हार के लिए उस प्रचार को भी जिम्मेदार ठहराया कि सभी मुस्लिम सपा का समर्थन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसके चलते पोलराइजेशन हुआ और जाटवों के अलावा दलित समुदाय की कई बिरादरियों ने भाजपा को वोट दिया।

Balkrishan Singh

Recent Posts

लापरवाह एनएचएआइ की ग्रामीणों ने दिखाया आइना, किराए पर ली मशीनरी से किया मरम्मत कार्य

  Padhar/Mandi: मंडी-पठानकोट राष्ट्रीय उच्च मार्ग की खस्ताहाल स्थिति पर राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) द्वारा…

2 hours ago

प्रवासी मजदूर की गला घोट कर हत्या, पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार किया

  हमीरपुर: पुलिस थाना भोरंज की जाहू पुलिस चौकी के अंतर्गत 26 सितंबर की रात…

2 hours ago

बस से बाइक टकराने से हुई दुर्घटना में युवक की मौत

  विप्लव सकलानी मंडी। चंडीगढ़-मनाली नेशनल हाईवे पर सुंदरनगर के तरोट में शुक्रवार को एक…

2 hours ago

राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से जुड़ी गुल्लक टीम ने सीएम से मिलने का समय मांगा, पॉकेट मनी का गुल्लक सौंपेंगे

  शिमला: लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की…

2 hours ago

चुनावी थकान मिटाने कसौली पहुंचे उमर अब्दुल्ला

  कसौली: नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा…

2 hours ago

खनन पर तीन तरह के शुल्‍क, निर्माण सामग्री होगी महंगी

ऑनलाइन शुल्क, ईवी शुल्क और मिल्क सेस लगाए गए रेत और बजरी की कीमतों में…

2 hours ago