हमीरपुर के एक ग़रीब परिवार की बेटी आंचल मेडिकल कॉलेज टांडा में डॉक्टरी की पढ़ाई करेगी। आंचल ने अपनी कड़ी मेहनस से NEET पास करके 452 अंक लिए हैं और टांडा में उसे सीट मिलना भी लगभग तय है क्योंकि वे आरक्षित सीटों में से है। लेकिन, इसी बीच आंचल के रास्ते में उनकी आर्थिक कमजोरी चिंता का विषय बनी हुई। डॉक्टरी के लिए हर साल क़रीब 80 से 90 हजार का खर्ज होता है और इन पैसे का बंदोबस्त कैसे होगा इसकी चिंता उसके परिवार को अभी से सताने लगी है।
दरअसल, आंचल के पिता एक दर्जी हैं और उन्होंने पहले कभी अपनी बेटी को पढ़ाई के लिए कमी नहीं रखी। जब वे अपनी बेटी का डॉक्टर बनने का सपना सुनते थे तो काफी खुश होते थे लेकिन उन्हें क्या पता था कि डॉक्टरी की पढ़ाई इतनी महंगी होगी जो उनके लिए परेशानी ही बन जाएगी। आंचल के पिता का कहना है कि मुख्यमंत्री की बेटी की तरह उनकी बेटी भी डॉक्टर बनने जा रही है, लेकिन पढ़ाई के लिए जो रकम लगेगी हम उसके जुगाड़ में लगे हुए हैं। न हमारे पास इतनी ज़मीन है कि जिसे गिरवी रखकर लोन ले सकें और न कोई और विकल्प…
वहीं, आंचल की बात करें तो उसे भी अपने भविष्य की चिंता सताने लगी है। उन्होंने आर्थिक सहायता के लिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से मांग की है। आंचल ने भावुक होकर मुख्यमंत्री के लिए कहा है कि मैं भी आपकी बेटी ही हूं और मुझे भी आगे की पढ़ाई का मौका मिलना चाहिए। यह मौका सिर्फ सरकार की सहायता से ही मिल सकता है।
स्टडी लोन के रास्ते भी खुले
हालांकि, आंचल की पढ़ाई में बाधा न आए इसके लिए स्टडी लोन के रास्ते भी खुल हैं। लेकिन, उनके परिवार के मानें तो उन्होंने कभी लोन नहीं लिया। उनका मानना है कि लोन न भर पाने पर लोगों को घर भी बिक जाते हैं, जिससे चलते उन्हें लोन के नाम से ही डर लग़ता है। आख़िर हो भी क्यों न… बैंक वाले पहले लोगों से ढेरों चक्कर लगवाते हैं और आजकल तो कपड़े और किसी की हैसीयत देखकर ही लोन देने का ट्रेंड शुरू हो गया है…!!