हिमाचल प्रदेश की अदालत ने नाबालिग के साथ दुष्कर्म के दोषी को विभिन्न धाराओं में कारावास की सजा के साथ जुर्माने की सजा सुनाई.
जिला न्यायवादी मण्डी कुलभूषण गौतम ने बताया कि दिनांक 09/07/2018 को पीडिता की मां ने अपने पति के साथ पुलिस थाना औट में शिकायत दर्ज करवाई कि दिनांक 07/07/2018 को उसका एक रिश्तेदार उनके घर आया था और वह थोड़ी देर बाद अपने घर के लिए निकल गया और उसी दौरान 7 वर्ष की पीडिता भी खेलने के लिए घर से निकल गयी.
जब पीडिता काफी देर तक घर नहीं आयी तो शिकायतकर्ता और उसका पति पीडिता को ढूंढने के लिए निकले और काफी देर तक ढूंढने के बाद पीडिता उनको पास के एक स्कूल के पास मिली और वह अचेत हालत में थी और वह सारी रात अचेत रही जब सुबह उसको होश आया. तो पीड़िता से पूछने पर उसने बताया कि जो रिश्तेदार पिछले दिन उनके घर आया था.
वह उसको गोद में उठाकर ले गया और उसके साथ गलत काम किया. शिकायतकर्ता की शिकायत के आधार दोषी के खिलाफ थाना औट, जिला मण्डी में अभियोग 77/2018 दर्ज हुआ था. मामले की छानबीन सहायक उप निरीक्षक श्याम लाल, थाना औट, जिला मण्डी द्वारा अमल में लाई थी. छानबीन पूरी होने पर थानाधिकारी थाना औट, जिला मण्डी द्वारा चालान को अदालत में दायर किया था.
उक्त मामले में अभियोजन पक्ष ने अदालत में 27 गवाहों के ब्यान कलम बन्द करवाए थे. उक्त मामले में सरकार की तरफ से मामले की पैरवी लोक अभियोजक, चानन सिंह द्वारा की गयी.
अभियोजन एवं बचाव पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने उपरोक्त दोषी को भारतीय दण्ड सहिंता की धारा 376 (ए बी) के तहत 20 वर्ष के कठोर कारावास की सजा के साथ ₹ 20,000/-जुर्माने की सजा, धारा 363 के तहत 5 वर्ष के कठोर कारावास की सजा के साथ ₹ 2,000/-जुर्माने की सजा, धारा 366 के तहत 5 वर्ष के कठोर कारावास की सजा के साथ ₹ 2,000/-जुर्माने की सजा और पोक्सो अधिनियम की धारा 6 के तहत 10 वर्ष के कठोर कारावास की सजा के साथ ₹ 5,000/- जुर्माने की सजा सुनाई. जुर्माना अदा न करने की सूरत में अदालत ने दोषी को 2 से 6 माह तक के अतिरिक्त कारावास की सजा भी सुनाई.