..तो क्या गुड़िया को इंसाफ दिला पाएगी CBI

<p>हर रोज की तरह 4 जुलाई को भी कोटखाई स्कूल से घर वापिस आ रही 16 साल की मासूम गुड़िया को अगवाह किया जाता है। 6 जुलाई को अगवाह की गई लड़की की लाश नग्न अवस्था में जंगल में मिलती है।</p>

<p>मामले में जनाक्रोश बढ़ता है तब कहीं जाकर 10 जुलाई को SIT का गठन किया जाता है। इसी दौरान 4 लोगों की फ़ोटो सोशल मीडिया पर वायरल होती है। इस दौरान कई तरह की अफवाहों का बाजार भी गर्म रहता है कि मामला हाइप्रोफाइल है, दोषी बड़े घरों से ताल्लुक रखते है, बगैरह।<br />
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लेकिन, 13 जुलाई को SIT मामले को सुलझाने का दावा करती है और 6 दोषियों को पकड़ने का दावा भी किया जाता है। जो दोषी अभी सलाखों के पीछे हैं। मगर इन सबके बावजूद 14 जुलाई को जनाक्रोश कम होने के बजाए और भी ज्यादा बढ़ जाता है। क्योंकि लोगों को लगता है जो लोग पकड़े गए है वे असली कातिल नहीं हैं। असली कातिल अभी भी गिरफ्त से बाहर है और शायद पुलिस उन्हें बचा रही है।</p>

<p>इसी का नतीजा था कि ठियोग में लोगों की भीड़ ने पुलिस की गाड़ियां तोड़ डाली और इंसाफ की मांग की। आसपास के लोग आरोप लगाते है की असल गुनहगारों को पुलिस बचाने की फिराक में है। मामले के तार नेताओं और बड़े-बड़े लोगों से जुड़े होने की बातों का बाजार भी गर्म रहता है।</p>

<p>ऐसे में भला राजनेता कैसे पीछे रह जाते.. राजनीतिक पार्टियों ने भी एक-दूसरे पर छींटाकसी करनी शुरू कर दी। जनाक्रोश बढ़ता देख मुख्यमंत्री को मामला सीबीआई के हाथ देने का आदेश जारी करना पड़ता है।</p>

<p>इसी बीच 15 जुलाई को 2 और लोगों को पकड़ा जाता है और उनका मेडिकल और डीएनए करवाकर छोड़ दिया जाता है। ये भी सामने आ रहा है कि ये वही 2 लोग हैं, जिनकी फ़ोटो सोशल मीडिया में वायरल हुई।</p>

<p>बहरहाल, इतना सब होने के बावजूद कोटखाई गुड़िया मर्डर मिस्ट्री अब भी अनसुलझी पहेली ही बनी हुई है। प्रियजन आंसू बहा रहे है, जनता इंसाफ मांग रही है, कानून ने हाथ खड़े कर दिए हैं। मामला सीबीआई को भेज दिया गया है।</p>

<p>मामले में पुलिस अगर साक्ष्य के आधार पर ईमानदारी से काम करती तो क्या ये मामला इतना उलझने वाला होता।</p>

<p><strong>6 दोषियों को पकड़ने के बाद पुलिस के बयानों में विरोधाभास नहीं होता तो क्या जनाक्रोश बढ़ता?</strong></p>

<p><strong>सोशल मीडिया में फ़ोटो वायरल नहीं होते तो क्या लोग सड़कों पर नहीं उतरते?</strong></p>

<p><strong>पुलिस प्रशासन मामले में संजीदगी दिखता तो क्या मामला इतना उलझता?</strong></p>

<p>ये सारे सवाल है जो सबके मन को कौंध रहे हैं, लेकिन सही जवाब किसी के पास नहीं है। अब लोगों की एकमात्र उम्मीद सीबीआई से ही है.. तो क्या सीबीआई अब इस मामले की परतें उखाड़ पाएगी?</p>

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