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ख़तरे में बेटी की आबरू, थाने से भी मदद नहीं, SP से परिजनों ने लगाई गुहार

बिट्टू सूर्यवंशी, धर्मशाला |

जब स्थानीय पुलिस वारदातों पर कैजुअल रवैया अपनाने लगे तो चिंता लाजमी है। प्रदेश पर आए दिन कानून-व्यवस्था को लेकर उंगलियां उठ रही हैं, लेकिन थानों पर पुलिस कान में रूई डाले हुए है। कांगड़ा के ज्वालामुखी के खुंडिया का एक परिवार अपनी बेटी की इज्जत बचाने के लिए अफसरों के चक्कर काट रहा है।

खुंडिया थाना क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाले परिवार का आरोप है कि एक दबंग युवक लगातार उनकी बेटी को परेशान कर रहा है। आए दिन उसके साथ छेड़छाड़ करता है और उसके साथ दुष्कर्म की कोशिश भी कर चुका है। आरोपों के मुताबिक लड़की नाबालिग है और स्कूल में 6वीं कक्षा में पढ़ने डेढ़ किलोमीटर गांव से दूर जाती है। इसी दौरान युवक उसे परेशान करता है।

इसके अलावा उसके पिता काम के सिलमिले में बाहर रहते हैं और घर पर उनकी पत्नी हैंडीकैप्ड हैं। ऐसे में उन्हें अपनी बेटी की सुरक्षा की चिंता हर वक़्त लगी रहती है। बार-बार मना करने के बावजूद भी आरोपी युवक बाज नहीं आ रहा है। पिता का यह भी कहना है कि इस बारे में उन्होंने स्थानीय थाने में शिकायत भी की लेकिन पुलिस ने कोई संज्ञान नहीं लिया। 

स्थानीय थाने से मदद नहीं मिलने पर बाप ने अपने रिश्तेदारों के साथ धर्मशाला स्थित एसपी कार्यालय में गुहार लगाई। एसपी संतोष पटियाल ने तुरंत कार्रवाई करते हुए संबंधित पुलिस थाने के इंचार्ज को आरोपी को गिरफ्तार करने के निर्देश दिए। पटियाल ने कहा कि मामले को तुरंत दर्ज करने और आरोपी को पकड़ने के आदेश दे दिए गए हैं।

लेकिन, सवाल यह उठता है कि आखिर ये नौबत क्यों आती है, जब किसी पीड़ित पक्ष को न्याय लेना हो तो उसे हमेशा प्रशासन के ऊपरी दरबार में गुहार लगानी पड़ती है। स्थानीय स्तर पर मामले पर लीपापोती क्यों हो जाती है?