देश की राजधानी दिल्ली में निर्भया कांड के बाद महिला सुरक्षा को लेकर कई दावे किये गये थे । लेकिन लगातार हो रही घटनाओं ने इन दावों को झुठला दिया है । ऐसा कोई दिन नहीं गुजरता जिस दिन राष्ट्रीय राजधानी में महिला अपराध से जुड़ी घटना नहीं होती हो । सूनसान और एकांत जगह तो छोड़िये, भीड़-भाड़ वाले इलाकों में भी आधी आबादी महफूज नहीं है ।
ऐसा ही एक मामला मंगलवार देर शाम का है जब डीटीसी बस में सवार एक न्यूज चैनल में कार्यरत महिला पत्रकार के साथ एक शख्स गंदी हरकतें करने लगा । महिला पत्रकार ने बस में सवार लोगों से मदद मांगी, लेकिन कोई मदद को आगे नहीं आया । जिसके बाद पीड़ित ने विरोध किया और पीसीआर को कॅाल करने के बाद आरोपी की चप्पलों से पिटाई कर दी । अगले बस स्टैंड में पुलिस ने बस को रुकवा कर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया ।
यहां सवाल उठता है कि भरी बस में एक लड़की के साथ इतना कुछ हो जाता है और कोई भी मदद के लिये आगे नहीं आया । हर घटना के बाद पुलिस को लेकर सवाल खड़े किये जाते हैं और किये जाने भी चाहिये । लेकिन क्या समाज की अपनी जिम्मेदारी नहीं बनती है । समाज अपराध मुक्त तभी बन सकता है जब इसमें आम लोगों का भी सहयोग होगा ।