मंडी: नवाही माता मंदिर भ्रष्टाचार मामले में 8 अधिकारियों के खिलाफ चालान पेश, 16 जून को होगी पेशी

<p>नवाही माता मंदिर 28 मार्च 2007 से सरकार और प्रशासन के अधीन है। इस दौरान हुए भ्रष्टाचार को लेकर फरवरी 2016 में नवाही मंदिर संघर्ष समिति का गठन इसके अध्यक्ष ललित जमवाल की अध्यक्षता में किया गया। &nbsp;जिसमें प्रशासन के खिलाफ असहयोग आंदोलन चलाने का निर्णय लिया गया और यह आंदोलन 7 मार्च 2016 से शुरु किया गया और इसमें लोगों से आग्रह किया गया कि सोना चांदी, व पैसो की जगह मंदिर में आने वाले श्रद्धालु फूल ही चढ़ाएं।&nbsp;</p>

<p>बता दें कि नवाही माता तीन जिला (मंडी, बिलासपुर और हमीरपुर) के लाखों लोगों की कुल देवी है। इस मंदिर में प्रतिवर्ष लाखों रुपए सोना चांदी और चेकों के माध्यम से लोगों द्वारा दान दिए जाते हैं। इस मंदिर में हुए कथित भ्रष्टाचार का भंडाफोड़ तब हुआ जब यहां पर लोगों को फर्जी रसीदे दान के पैसों की दी गई थी। 11 मार्च 2016 को सीआईडी ने भराड़ी थाना में 1/16 तीन एफ आई आर दर्ज की गई अपने संघर्ष के दौरान 2007 से लेकर 2016 के बीच मंदिर में हुए चढ़ावे का हिसाब संघर्ष समिति मांगती रही। लेकिन उन्हें आधी अधूरी सूचना ही मिलती रही।</p>

<p>5 वर्षों की जांच के बाद आठ प्रशासनिक अधिकारियों व अन्य कर्मचारियों के विरुद्ध चालान पेश किया है। इनमें से अधिकतर 2007 से 2016 के बीच सरकाघाट में तहसीलदार के पद पर कार्यरत रहे हैं। इनमें से दो पटवारी, कानूनगो और तहसीलदार रिटायर्ड भी हो चुके हैं और कुछ वर्तमान में एसडीम के पदों पर कार्यरत हैं। सरकार के अधीन मंदिर के आने के 9 वर्षों के अंदर करोड़ों रुपया मंदिर में श्रद्धालुओं द्वारा दान दिए गए थे। दान में हुए गोलमाल की भनक लोगों को उस समय लगी जब लोगों के पास कुछ फर्जी रसीदें दान की मिली जब फरवरी 2016 में 10 लाख 75 हजार रुपए मात्र जमा राशि थी और मार्च माह में 15 लाख 91 हजार रुपए जबकि 20 अक्टूबर 2018 को &nbsp;49 लाख 68 हजार आठ सौ अठानवे रुपए जमा राशि की सूचना आरटीआई से दी गई।&nbsp;</p>

<p>वहीं, प्रशासन द्वारा दी गई एक आरटीआई में अप्रैल 2014 तक मंदिर के खाते में 82 लाख रुपए जमा होने का खुलासा हुआ था लेकिन यह पैसा कहां गया इसकी जांच अभी होनी बाकी है। इसके साथ ही सरकाघाट प्रशासन ने विधानसभा में भी गलत जानकारी दी थी उस पर भी अभी जांच होना बाकी है। मंदिर संघर्ष समिति के अध्यक्ष ललित जमवाल ने कहा कि इस आंदोलन में उनको लोगों का भी भरपूर सहयोग मिला अब वह आगे मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए आंदोलन करेंगे साथ ही। उन्होंने कहा कि यह लगातार 5 वर्षों तक किए गए आंदोलनकारी परिणाम है कि 8 अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप में चालान पेश किया गया है। इस आंदोलन में उन्होंने अधिकारियों से लेकर चुने हुए नुमाइंदों मुख्यमंत्री राज्यपाल तक गुहार लगाई। जब इस बारे में एसपी सीआईडी वीरेंद्र कालिया से बात की गई तो उन्होंने कहा कि मामला कोर्ट के विचाराधीन है मैं इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दे सकता हूं।</p>

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