<p>शिमला नगर निगम के भरयाल कूड़ा संयंत्र के कचरे में सुलग रही आग बूझ नहीं रही है। पिछले लगभग एक महीने से ये कूड़ा संयंत्र अंदर ही अंदर सुलग रहा है। शिमला शहर का सारा कूड़ा इस सयंत्र में जाता है। रोज़ के एकत्रित कूड़े से यहां कचरे का पहाड़ बन गया है। इस कचरे में लगी आग से निकलता ज़हरीला धुआं का गुब्बारे की तरह निकल रहा है। ये धुंआ आसपास के गांवों में फैला हुआ है। लोगों का यहां से गुज़रना मोहाल हो गया है।</p>
<p>नगर निगम की मेयर कुसुम सडरेट ने बताया कि निगम ने आग बुझाने की कोशिश की लेकिन अभी तक नाकामी ही हाथ लगी है। यहां तक कि नगर निगम शिमला ने कूड़ा संयंत्र में लगी आग को बुझाने के लिए चंडीगढ़ से पोकलेन भी मंगवाई है। बाबजुद इसके ना तो आग बुझ पाई है और ना ही ज़हरीला धुंआ थम रहा है। मेयर ने आधुनिक मशीनें लाकर आग को बुझाने के निर्देश दिए है। ताकि शहर को जहरीले धुएं से निजात दिलाई जा सकेगी। भरयाल कूड़ा संयंत्र में लगी आग से शहर के वातावरण पर विपरीत असर पड़ रहा है। कूड़ा संयंत्र में प्लास्टिक जलने से जहरीली गैस निकल रही है।</p>
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<p>भरियाल कूड़ा संयंत्र में इस तरह की आगजनी की यह पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी इस कूड़ा सयंत्र में आग लग चुकी है। जो कि आसपास की फ़िज़ाओं को दूषित कर चुकी हैं। लापरवाही और आगजनी को लेकर नगर निगम प्रशासन की ओर से कूड़ा संयंत्र के संचालक के ऊपर एफआईआर दर्ज़ करवाई गई थी। कूड़ा संयंत्र में लगने वाली इस आग की वजह से पर्यावरण के नुकसान के साथ निगम को अपनी संपत्ति में भी लाखों का नुकसान उठाना पड़ा था।</p>
<p>हैरानी की बात तो ये है कि भरियाल कूड़ा सयंत्र से निजी कंपनी एलीफेंट एनर्जी ने प्रोसेसिंग यूनिट से रोजाना करीब डेढ़ से दो मेगावाट बिजली पैदा करने का दावा किया गया था। इस पावर प्लांट पर करीब 40 करोड़ रुपये से अधिक राशि खर्च की है। ये भी दावा किया गया था कि संयंत्र में बिजली बनाने के लिए औसतन 70 मीट्रिक टन कूड़े की ज़रूरत होगी। प्लांट में 100 मीट्रिक टन कूड़े तक से बिजली बनाई जा सकगी।</p>
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<p>राजधानी शिमला की बात करें तो यहां से रोज़ाना 60 से 80 टन तक कूड़ा इक्कठा किया जाता है। लेकिन अफसोस आज तक इस प्लांट में ना तो बिजलीं उत्पादन शुरू हो पाया ना कचरे का कोई स्थायी समाधान भी नहीं मिल पाया। अब हालात ये है कि सयंत्र का जहरीला धुआं शिमला की ठंडी फिजाओं में जहर घोल रहा है।</p>
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