बेटियां भी अब बेटों से कम नहीं है। वह भी लड़कों की तरह कंधे से कंधा मिलाकर अपने परिवार का सहारा बन रही है। फिर चाहे देश की सेवा हो या निजी कारोबार हो, हर जगह अपने आप को लड़कों से कम नहीं आंक रही है।
ऐसा ही एक नया मामला मंडी जिले में देखने को मिल रहा है। 18 साल की जागृति ने ऑटो चलाकर घर की आजीविका में अपने पिता का हाथ बंटाने शुरू कर दिया है। मंडी जिले के घरवाण गांव की जागृति ठाकुर कोटली उपमंडल की सड़कों पर और ऑटो दौड़ाती हुई दिख रही है।
बात करें जागृति की पढ़ाई की तो यह होनहार बेटी बचपन से ही पढ़ने में काफी होशियार थी।
10वीं और 12वीं की परीक्षा फर्स्ट डिवीजन में पास करने के बाद जागृति ने शास्त्री का कोर्स भी पूरा कर लिया है।
इस होनहार बेटी का बचपन से ही सपना अध्यापक बनने का था लेकिन पारिवारिक हालातो ने उसे ऑटो ड्राइवर बनने पर मजबूर कर दिया। इस जिंदादिल बेटी के दिल में इस बात को लेकर कोई मलाल नहीं है कि वह ऑटो चालक है। वह हर दिन ऑटो चलाकर अपने परिवार का सहारा बन रही है।
बता दे कि जागृति के पिता चेतराम कोटली में ही ऑटो चलाते हैं। वह अपने पिता के इस काम में मदद कर काफी खुश है। ऐसी बेटियां बड़े ही खुशनसीब वालों को नसीब होती हैं।
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