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HPU के 5 दिव्यांग छात्रों ने पास की नेट की परीक्षा

पी. चंद |

जहां आम छात्र  दिन-रात तैयारी करने के बाद भी नेट की परीक्षा को पास नहीं कर पाते वहीं, हिमाचल विश्व विद्यालय के पांच दिव्यांग छात्रों ने नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट (नेट) पास कर प्रदेश का नाम रोशन किया है।
इससे पहले 2015 में विश्वविधालय के दृष्टिहीन छात्र उमेश लुबाना ने नेट की परीशा पास की थी । जिसके बाद  विश्वविधालय के पांच छात्रों मुस्कान, अनुज कुमार विनोद कुमार, जसवीर सिंह और अजय कुमार ने नीट की परीक्षा  इस साल पास की है। इसके अलावा दो शारीरिक रूप से विकलांग सतीश कुमार और प्रियंका ठाकुर ने भी नेट की परीक्षा  पास की है।

ये पहला मौका है जब इतने छात्रों ने नेट की परीक्षा पास की है। इसमें मुस्कान और दो अन्य छात्र ऐसे हैं जिन्होंने पहली बार ही नेट की परीक्षा पास कर ली है।

मुस्कान शिमला के चिड़गांव की रहने वाली है और विवि में संगीत की छात्र है, अनुज कुमार अर्थशास्त्र , विनोद शर्मा और जसवीर राजनितिक विज्ञान के छात्र है और ये तीनो  सिरमौर जिला के रहने वाले हैं और  अजय कुमार मंडी जिला का रहने वाला है जो की इतिहास के छात्र है। इन छात्रों ने ये साबित कर दिया है की अवसर दिया जाये तो किसी भी उंचाई को वे छू सकते हैं।
 
इन छात्रों का कहना है कि उन्हें शुरू से ही  पढ़ाई करने में काफी मुश्किल हुई है। स्कूल में पढ़ाई के दौरान  उन्हें सुविधाएं नही मिली बावजूद उन्होंने पढ़ाई का जज्बा नहीं छोड़ा और कालेज की पढाई खत्म करने विश्व विद्यालय में पढ़ाई करने पहुंचे यहां भी उन्हें होस्टल आने-जाने में मुश्किल होती थी क्लास रूम तक नहीं पहुंच पाते थे लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और जो सपना उन्होंने देखा था वो आज पूरा हो गया। ये पांचो छात्र प्रोफेसर बनना चाहते हैं।

नई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर उन्होंने यह मुकाम हासिल किया है। इन छात्रों ने अपनी इस  सफलता का श्रेय अपने  प्रोफेसरो के साथ साथ अपने माता-पिता और  दिव्यांगों के लिए कार्य कर रहे  उमंग संस्था के अध्यक्ष  अजय श्रीवास्तव को दी। उनका कहना है कि अब वे  यूजीसी की जूनियर रिसर्च फैलोशिप के लिए प्रयास करेंगे।

टॉकिंग सॉफ्टवेयर के जरिए पढ़ाई की

इन छात्रों ने  नेट की परीक्षा के लिए लगातार मेहनत की। टॉकिंग सॉफ्टवेयर के जरिए पढ़ाई की। वह कक्षा में बैठकर लैपटॉप पर नोट्स बनाते हैं। नेट की परीक्षा के लिए उन्होंने राइटर की मदद ली। परीक्षा के दौरान 20 मिनट एक्सट्रा मिले तो उन्होंने इसका खूब सदुपयोग किया। टॉकिंग सॉफ्टवेयर एक ऐसी तकनीक है, जिससे कोई भी व्यक्ति जो बोलता है, वह कंप्यूटर में पूरा का पूरा नोट हो जाता है। छात्रों ने लेक्चर को रिकॉर्ड करके और किताबों को टॉकिंग सॉफ्टवेयर से आवाज में बदलकर पढ़ाई की। दृष्टिहीन होने के बावजूद ये फेसबुक, गूगल और इंटरनेट का प्रयोग आसानी से कर लेते हैं।