हिमाचल

मछली उत्पादन में बढ़त: पौंग झील ने रचा नया रिकॉर्ड

Pong Dam fish seed release 2024: हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले स्थित महाराणा प्रताप सागर, जिसे पौंग झील के नाम से भी जाना जाता है, में मछली उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए एक बड़ा कदम उठाया गया है। मत्स्य विभाग ने इस वर्ष झील में कुल 65 लाख मछली बीज संग्रहित किए हैं। मत्स्य विभाग के निदेशक विवेक चंदेल ने बताया कि इनमें प्रमुख प्रजातियां कतला (30 लाख), रोहू (20 लाख), मोरी (5 लाख) और ग्रास कार्प (10 लाख) शामिल हैं। ये बीज 70 मिमी से अधिक आकार के हैं, जो बेहतर विकास और उत्पादन सुनिश्चित करते हैं।

यह बीज संग्रहण पौंग झील के विभिन्न स्थानों जैसे सिहाल, मझार, डाडासीबा और जंबल में किया गया। इस प्रक्रिया में विभागीय पर्यवेक्षक, स्थानीय मछुआरे, मत्स्य सहकारी सभा के सदस्य और जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति रही।

उत्पादन और मछुआरों की आय में वृद्धि


वर्ष 2024-25 में अब तक पौंग जलाशय से कुल 2,32,440 किलोग्राम मछली का उत्पादन हुआ, जिसकी बाजार कीमत ₹4,72,68,388 आंकी गई है। यह झील देशभर में अपनी तरह का अनूठा स्थल है, जहां मछुआरों को उनकी मछली के सर्वोच्च दाम मिलते हैं। इस वर्ष नंदपुर मत्स्य सहकारी सभा को मछली का प्रति किलोग्राम ₹311 का मूल्य मिला, जो अब तक का सबसे अधिक है।

संरक्षण और सतत विकास की अपील

पौंग झील के सहायक निदेशक संदीप कुमार ने मछुआरों से अपील की कि वे झील में डाले गए मछली बीज का संरक्षण करें। उन्होंने कहा कि यह कदम मछली आपूर्ति को बनाए रखने के साथ-साथ मछुआरों की आय में वृद्धि करेगा। मत्स्य विभाग का मानना है कि मछली बीजों का संरक्षण झील के पारिस्थितिकी तंत्र को सुदृढ़ बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।

महाराणा प्रताप सागर में मत्स्य बीज संग्रहण की यह प्रक्रिया झील के संसाधनों का सतत उपयोग सुनिश्चित करने के साथ मछुआरों की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए एक सराहनीय पहल है।

Akhilesh Mahajan

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