Post-Monsoon Drought Himachal: हिमाचल प्रदेश में पिछले दो महीनों से बारिश न होने के कारण सूखे जैसे हालात बन गए हैं। पोस्ट मानसून सीजन में बारिश की कमी ने किसानों के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। किसानों ने गेहूं और रबी सीजन की अन्य फसलों की बिजाई के लिए खेत तैयार कर बीज खरीद लिए थे, लेकिन जमीन में नमी की कमी के कारण बिजाई का काम नहीं हो पाया है।
उधर अब हिमाचल प्रदेश में 5 दिन बाद मौसम फिर करवट बदलेगा। इससे अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में ही हल्की बारिश-बर्फबारी का पूर्वानुमान है। लेकिन मैदानी इलाकों में राहत कम मिलने का अनुमान है। प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में 55 दिन से ज्यादा का ड्राइ स्पेल टूटने के लिए अभी लंबा इंतजार करना होगा।
मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, वेस्टर्न डिस्टरबेंस एक्टिव होने से 30 नवंबर को चंबा, लाहौल स्पीति, कुल्लू और कांगड़ा की अधिक ऊंची चोटियों पर हल्का हिमपात हो सकता है। अन्य जिलों में मौसम पूरी तरह साफ बना रहेगा। अगले पांच दिन तक भी बारिश-बर्फबारी के कोई आसार नहीं है।
कृषि विभाग के अनुसार, हिमाचल प्रदेश में इस बार रबी सीजन में 3.24 लाख हेक्टेयर भूमि पर गेहूं की बिजाई का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। आमतौर पर, अक्टूबर महीने में ही बिजाई शुरू हो जाती थी, लेकिन इस बार बारिश न होने से मात्र 20% क्षेत्र में ही गेहूं की बुआई हो पाई है। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि 15 नवंबर तक गेहूं की बुआई का उपयुक्त समय होता है, लेकिन यह अवधि बीत चुकी है। अब अगर जल्द बारिश होती भी है, तो भी इसका सीधा असर गेहूं के उत्पादन पर पड़ेगा।
प्रदेश में इस साल 6.20 लाख मीट्रिक टन गेहूं उत्पादन का लक्ष्य तय किया गया है। लेकिन देरी से बिजाई और नमी की कमी के कारण लक्ष्य हासिल करना चुनौतीपूर्ण हो गया है। हिमाचल में करीब 9.97 लाख परिवार कृषि पर निर्भर हैं, जिनमें से 7.50 लाख परिवार गेहूं की खेती करते हैं।
प्रदेश के विभिन्न जिलों में गेहूं की बिजाई के लिए अलग-अलग लक्ष्य तय किए गए हैं:
हिमाचल प्रदेश में 88.08% कृषि योग्य भूमि बारिश पर निर्भर है। सिंचाई की सुविधा मात्र 11.92% भूमि में उपलब्ध है। लंबे समय तक सूखा रहने से जमीन में नमी समाप्त हो गई है, जिससे फसलों की बिजाई बाधित हो रही है। किसान पदम देव का कहना है कि उन्होंने बीज और खेत तैयार कर लिए हैं, लेकिन बारिश के अभाव में बिजाई संभव नहीं हो पाई।
हिमाचल में रबी सीजन में गेहूं के साथ मटर, आलू, सरसों, पालक, मूली, चना, मसूर, और धनिया जैसी फसलें उगाई जाती हैं। इसके अलावा, फूल गोभी, बंद गोभी, ब्रोकली, और प्याज की पनीरी भी इस समय लगाई जाती है। लेकिन सूखे के कारण इन फसलों की खेती भी प्रभावित हो रही है।
कृषि विभाग के सेवानिवृत्त सीनियर एसएमएस राम कृष्ण चौहान ने कहा, “हिमाचल प्रदेश में 15 नवंबर तक गेहूं की बिजाई पूरी हो जानी चाहिए थी। अब इस देरी का सीधा असर उत्पादन पर पड़ेगा।”
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