हिमाचल

हिमाचल के इस जिले में दिखती है बनारस वाली झलक

हिमाचल की की ऐसी अविश्वसनीय जहग जहां जाकर आपको एक अलग ही अनुभव और दुनिया देखने को मिलेगी. प्रकृति प्रेमियों के लिए यह जगह किसी जन्नत से कम नहीं है। खूबसूरत पहाड़ियों और झीलों के बीच बसी यह जगह देशभर से पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है।

प्रदेश का यह प्यारा सा शहर प्राचीन मंदिरों, हरे देवदार और ऊँचे देवदार के पेड़ों से भरा है। इसकी अनछुई जगहों में सबसे अधिक शांत झीलें और कस्बे है और उन कस्बों मे इतनी हरियाली है की आपने शायद ही कभी कहीं देखी हो।

व्यास नदी के किनारे बसा मंडी हिमाचल प्रदेश का एक एतिहासिक और खूबसूरत शहर है। समुद्र तल से 760 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह शहर हिमाचल के सबसे तेजी से विकसित होते शहरों में एक है। एक पर्यटन स्थल के रूप में मंडी को ‘वाराणसी ऑफ हिल्स’ या ‘छोटी काशी’ या ‘हिमाचल की काशी’ के नाम से भी जाना जाता है. ऐसा इसलिए है, क्योंकि अकेले इस छोटे से शहर में 81 हिंदू मंदिर हैं. इसके अलावा ब्यास नदी के किनारे बसे पुराने मोहल्ले इसे बिल्कुल बनारस वाली झलक देते हैं.

प्रदेश के इस शहर का इतिहास करीब 13 सौ साल पुराना है. इस शहर को इतिहास में मांडव नगर के नाम से जाना जाता था, वहीं तिब्बती लोग इसे जहोर कह कर बुलाते थे. इस शहर को हिमाचल का धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र भी बताया जाता है. कहा जाता है कि इस शहर से बहने वाली ब्यास नदी के किनारे कोल्सरा नाम के एक खास पत्थर पर बैठ कर महान संत मांडव ने तप किया था. उन्हीं के नाम पर इस शहर का नाम मांडव नगर पड़ा था. हालांकि, बाद में लोगों ने इस शहर के नाम को आम बोलचाल की भाषा में मांडव से मंडी कर दिया.

आपको यह भी बता दूं कि मंडी जिला दो रियासतों से मिल कर बना है. ये दो रियासतें थीं सुकेत रियासत और मंडी रियासत. सुकेत रियासत की स्थापना जहां 765 ईस्वी में वीरसेन ने की थी. वहीं मंडी रियासत की स्थापना भी सुकेत राजवंश के ही राजा बाहुसेन ने 1000 ईस्वी में की थी. बाद में इन्हीं दोनों रियासतों के हिस्सों को मिला कर मंडी शहर बना.

आप चाहे अपने दोस्तों, परिवार, किसी के भी साथ हों, मंडी घूमने के लिए निकलना हमेशा एक शानदार प्लान है. ऊबड़-खाबड़ इलाके, हरे भरे दृश्य, अविश्वसनीय मंदिर और धार्मिक स्थल.
रिवालसर झील, कामरु नाग झील, भीमा काली मंदिर, भूतनाथ मंदिर , पराशर झील, देहनासार झील, कामाख्या देवी मंदिर , पंडोह डैम, सुंदर नगर, बरोट बांध, जनित्री धार वन, जंजेहली, तत्तापानी यह बस स्थान घूमने के लिए काफी अच्छे है.

इस जिला में मंडयाली भाषा हिमाचल की मुख्य भाषाओं में से एक है। यह प्रदेश के मंडी जिले और मंडी घाटी में बोली जाती है। इसी के साथ अगर आप खाने के शौकीन है तो मंडी मे आपको लगभग हर तरह के व्यंजन मिल जाएंगे जैसे सिड्डू, थुपका, मोमोस व बबरू, कद्दू का खट्टा, पटंडे और यहा की धाम, सिधु व ट्राउट भी खाने को मिलते है.

Kritika

Recent Posts

महाराष्ट्र में एनडीए की ऐतिहासिक जीत, भाजपा ने रचा नया इतिहास: उषा बिरला

NDA Victory in Maharashtra: भारतीय जनता पार्टी की जिला उपाध्यक्ष उषा बिरला ने महाराष्ट्र में…

10 hours ago

कंबल को लेकर कैथू जेल में भिड़े दो कैदी, एक गंभीर रूप से घायल

Shimla Prison Fight: शिमला के कैथू जेल में शनिवार को दो कैदियों के बीच कंबल…

11 hours ago

सुजानपुर में सांसद मोबाइल स्वास्थ्य सेवा का शिविर, 45 लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण

Free health camp Sujanpur: प्रयास संस्था के माध्यम से पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सांसद अनुराग…

12 hours ago

कांगड़ा एयरपोर्ट की 14 फ्लाइट्स रद्द, जानें कारण, क्‍या है समस्‍या और समाधान

Blog: Shivanshu Shukla Kangra Airport flight disruptions: देश विदेश के सैलानियों के लिए आकर्षण और…

12 hours ago

परिवहन में डिजी लॉकर को मान्यता न देने पर दिव्‍यांग कल्‍याण संगठन ने जताई नाराजगी

DigiLocker issues for disabled: मंडी के बाबा भूतनाथ मंदिर परिसर में शनिवार को हिमालयन दिव्यांग…

13 hours ago

हमीरपुर में तकनीकी विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह में 4801 को मिली डिग्रियां

Himachal Technical University convocation: हिमाचल प्रदेश तकनीकी विश्वविद्यालय, हमीरपुर का पांचवां दीक्षांत समारोह राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी…

13 hours ago