रिकांगपिओ: जिला किन्नौर में बारह मौसमी जड़ी-बूटी कड़ू की खेती के लिए हिमाचल प्रदेश वानिकी परियोजा ने कसरत शुरू कर दी है और आने वाले समय में जरूर रंग लाएगी। इस औषधीय खेती के लिए शुक्रवार को वन परिक्षेत्र निचार के अंतर्गत निगुलसरी में एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता वानिकी परियोजना के जैव विविधता विशेषज्ञ डा. एसके काप्टा ने की। उन्होंने यहां के लोगों को कीमती जड़ी-बूटी की खेती के लिए जागरुक किया।
गौरतलब है कि यह प्रजाति अल्पाइन हिमालय में 27 सौ से 5 हजार मीटर की ऊंचाई के बीच पाई जाती है। इसके लिए जिला किन्नौर के ऊंचाई वाले क्षेत्र उपयुक्त हैं। डा. एसके काप्टा ने कहा कि कडू तीन साल बाद तैयार होता है। वर्तमान में इसकी कीमत 12 सौ से 15 सौ रुपये प्रति किलो है। ऐसे में किसान इसकी खेती कर अपनी आर्थिकी को और अधिक मजबूत कर सकते हैं। डा. एसके काप्टा ने ग्राम वन विकास समिति निगानी, निगुलसरी, तरांडा और थाच के प्रतिनिधियों के साथ-साथ कार्यशाला में भाग लेने पहुंचे लोगों को अवगत करवाया कि जाइका वानिकी परियोजना जल्द ही निचार वन परिक्षेत्र में कडू की खेती के लिए 50 किसानों का एक ग्रुप तैयार करेगी।
हिमालयन रिचर्स ग्रुप के निदेशक डा. लाल सिंह ने भी यहां मौजूद लोगों को कडू की सफल खेती के बारे बारीकी से जानकारी दी। इस अवसर पर सेवानिवृत हिमाचल प्रदेश वन सेवा अधिकारी सीएम शर्मा, पीएमयू शिमला से मैनेजर मार्केटिंग डा. राजेश चौहान, वन परिक्षेत्र अधिकारी निचार मौसम दरैक, विषय वस्तु विशेषज्ञ राधिका नेगी, वन विभाग और वानिकी परियोजना के अधिकारी एवं कर्मचारी समेत 50 से अधिक स्थानीय लोग उपस्थित रहे।
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